मोदी ने संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस बात से कोई भी इंकार नहीं कर सकता की देश में नकदी के प्रचलन के कारण कालेधन की एक समानांतर अर्थव्यवस्था पनप चुकी थी। इसका कुचक्र ऐसा था कि संसाधनों की कमी न होने के बावजूद गरीबों को उनका हक नहीं मिल रहा था। आर्थिक संपन्नता का फायदा चंद लोग उठा रहे थे, वही गरीबों का हक छीन रहे थे। कालाधन देश के साथ ही विदेशों में भी जमा हो रहा था। इस चलन को कहीं तो बंद करना था, किसी को तो आगे आना था इसलिए उन्होंने इसकी पहल की।