जेएनयू छात्र संघ ने आरोप लगाया है कि रोहित को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन चलाने के कारण कृष्णन को निशाना बनाया जा रहा था और उसी के चलते हुए अवसाद के कारण कृष्णन ने यह कदम उठाया। हालांकि कृष्णन ने कोई सुसाइड़ नोट नहीं छोड़ा है लेकिन उसने जेएनयू में प्रवेश के लिए ‘भेदभावपूर्ण’ नीतियों की फेसबुक पर हाल ही में काफी आलोचना की थी और अब उसका यह पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी छाया है।
कृष्णन ने 10 मार्च को अपने पोस्ट में लिखा था कि एमफिल-पीएचडी में दाखिले में कोई समानता नहीं है, मौखिक परीक्षा में कोई समानता नहीं है, यहां समानता को सिर्फ नकारा जाता है, प्रो सुखदेव थोराट अनुशंसाओं को नकारना, प्रशासनिक खंड में छात्रों को प्रदर्शन करने का स्थान नकारना, वंचितों को शिक्षा नकारना। जब समानता को नकारा जाता है तो हर बात को झुठला दिया जाता है। पुलिस का कहना है कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं हैं जो इस मामले में जेएनयू प्रशासन की भूमिका की ओर इशारा करते हों।