चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह निर्वाचन आयोग से कहा था कि वह मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित करे, साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।
यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश के 56 घंटे के भीतर, जिन मतदाताओं के नाम मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं थे, उन्हें जिलों की वेबसाइट पर डाल दिया गया।
आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, निर्वाचक पंजीयन अधिकारी (ईआरओ), जो एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं, बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) की सहायता से मतदाता सूची तैयार करते हैं और उसे अंतिम रूप देते हैं। ईआरओ और बीएलओ मतदाता सूची के त्रुटि रहित होने की जिम्मेदारी लेते हैं।