राधाकृष्णन की जीत बड़ी या फिर जगदीप धनखड़ की, क्या कहते हैं उपराष्ट्रपति चुनाव के आंकड़े

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 10 सितम्बर 2025 (12:12 IST)
Jagdeep Dhankar victory is bigger than CP Radhakrishnan: उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने बाजी मार ली। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्‍डी को 152 वोटों से हराया। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी रेड्‍डी को 300 वोट मिले। हालांकि एनडीए के पक्ष में जो आंकड़े दिखाई दे रहे थे उनके मुताबिक राधाकृष्ण जीत तय मानी जा रही थी। हालांकि सुदर्शन रेड्‍डी के 15 वोट अवैध माने गए। 
 
कितने लोगों ने दिया वोट : इस चुनाव में 767 सांसदों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इस चुनाव में बीजू जनता दल, भारत राष्ट्र समिति और शिरोमणि अकाली दल ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया था। बीजद के 7 राज्यसभा सांसद हैं, जबकि बीआरएस के 4 राज्यसभा सांसद हैं। शिरोमणि अकाली दल के पास एकमात्र सांसद है। वहीं, पंजाब से 2 सांसदों- सरबजीत सिंह खालसा और अमृतपाल सिंह ने मतदान का ‍बहिष्कार करने की घोषणा की थी। हालांकि आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री जगन मोहन रेड्‍डी की पार्टी वायएसआरसीपी ने राधाकृष्णन का समर्थन किया था, जिसके पास 11 सांसद हैं। 
 
राधाकृष्णन बनाम जगदीप धनखड़ : उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए इस चुनाव में भी एनडीए का ही उम्मीदवार जीता है, लेकिन 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव की बाद करें तो यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रिकॉर्ड वोटों से जीता था। पिछले 30 सालों में किसी भी उपराष्ट्रपति चुनाव में धनखड़ की जीत का अंतर सबसे ज्यादा था। धनखड़ को 528 (74.37%) वोट मिले थे, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी मार्गरेट अल्वा को मात्र 182 वोट मिले थे, इस लिहाज से राधाकृष्णन की जीत से तुलना करें तो धनखड़ की जीत बड़ी है।
 
इस चुनाव में 752 वैध वोट पड़े, जबकि 2022 में 710 वैध वोट पड़े थे। इस लिहाज से भी धनखड़ का ही पलड़ा भारी है। क्योंकि उनके चुनाव के समय वोट भी कम पड़े थे, जबकि उनकी जीत का अंतर बड़ा था। उस समय कई विपक्षी दलों ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया था। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य कारणों के चलते जगदीप धनखड़ ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 में पूरा होना था। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 

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