सदन में रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद जडेजा ने पत्रकारों को बताया, 'आयोग की रिपोर्ट राज्य में 2002 के दंगों के बारे में लोगों के बीच सभी संदेहों को स्पष्ट करती है। यह दुनियाभर में मोदी की छवि खराब करने के लिए कुछ एनजीओ और कांग्रेस की साजिश को उजागर करती है।'
भाजपा नेता ने कहा कि आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि मोदी की छवि खराब करने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा, 'कई एनजीओ ने गुजरात, उसके लोगों और नरेन्द्र मोदी (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री) की छवि धूमिल करने की साजिश रची थी। अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए उन्होंने आरोप लगाये कि दंगे राज्य-प्रायोजित थे।'
मंत्री ने कहा कि लेकिन आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठकें कीं, घटनास्थल पर गये और दंगों के दौरान कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के वास्ते कड़ी मेहनत की।
उन्होंने दावा किया कि तीन पूर्व आईपीएस अधिकारियों आर बी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट ने दंगों के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह उनके आरोपों से सहमत नहीं है।