मोदी का वादा, 'बोधगया बनेगा आध्‍यात्मिक राजधानी'

शनिवार, 5 सितम्बर 2015 (11:08 IST)
बोधगया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि संघर्ष से बचना ही संघर्ष के समाधान का सबसे प्रभावकारी तंत्र है, क्योंकि आज ज्यादातर झगड़े धार्मिक असहिष्णुता के कारण हो रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि किसी के अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता में कोई समस्या नहीं है लेकिन समस्या तब पैदा होती है, जब कट्टरपंथी तत्व दूसरों पर अपनी विचारधारा थोपने का प्रयास करते हैं और इससे झगड़े उत्पन्न होने की स्थिति बनती है।
 
उन्होंने यहां आयोजित ‘संघर्ष निषेध और पर्यावरण चेतना पर विश्व हिन्दू-बौद्ध संवाद’ में वैश्विक शांति और सौहार्द स्थापित करने की दिशा में काम करने संबंधी ‘बोधगया घोषणा’ का समर्थन करते हुए कहा कि हिन्दू और बौद्ध धर्म में इतनी अधिक समानताएं हैं कि उन्हें भारत को ‘बौद्ध भारत’ कहकर पुकारने की इच्छा होती है।
 
मोदी ने कहा कि हमें विविधता का उत्सव मनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि शनिवार को भगवान कृष्ण के जन्मदिवस (जन्माष्टमी) पर यह आयोजन हो रहा है तथा भगवान बुद्ध की तरह भगवान कृष्ण भी ऐसी व्यवस्था निर्मित करना चाहते थे, जिसमें सत्य की विजय हो और बुरी ताकतों की पराजय।
 
उन्होंने कहा कि भगवान बौद्ध की ज्ञान प्राप्ति की स्थली से अपना संबोधन देते हुए वे अपने को भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं तथा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उन्हें (बतौर प्रधानमंत्री) इस पवित्र स्थल पर आने का अवसर मिला है। (भाषा)

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