नई दिल्ली। भारत और मालदीव ने हिन्द महासागर में एक-दूसरे के रणनीतिक हितों की रक्षा के संकल्प के साथ सोमवार को रक्षा सहयोग कार्ययोजना पर हस्ताक्षर किए तथा आतंकवाद एवं मजहबी कट्टरता को रोकने के लिए रोजगारपरक आर्थिक विकास को तेज करने पर सहमति जताई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुला गयूम के बीच यहां हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय शिखर बैठक में दोनों देशों के बीच पांच समझौतों और एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें दोहरे कराधान से बचाव, पर्यटन, अंतरिक्ष में दक्षिण एशियाई उपग्रह, ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण तथा रक्षा सहयोग संबंधी करार शामिल हैं।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि मालदीव की प्रगति, सुरक्षा एवं आर्थिक विकास जितनी मालदीव सरकार की प्राथमिकता है, उतनी ही भारत की भी है। 'पड़ोसी पहले', यह सिर्फ भारत की नीति नहीं बल्कि सिद्धांतों का तत्व है।
मोदी ने कहा कि बैठक में गयूम ने आश्वासन दिया है कि मालदीव भारत के सामरिक एवं सुरक्षा हितों के प्रति संवेदनशील रहेगा। ऐसा हिन्द महासागर में शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए जरूरी है। भारत दोनों देशों के सामरिक हितों की रक्षा के लिए तैयार रहेगा। इसके लिए सोमवार को एक ठोस कार्ययोजना पर हस्ताक्षर हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने मालदीव के द्वीपीय विकास, बंदरगाहों के विकास, मालदीव की मस्जिदों एवं ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण आदि के लिए सहयोग देने का वादा किया। मालदीव के राष्ट्रपति ने अपने वक्तव्य में कहा कि मालदीव की नीति 'भारत प्रथम' की है। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच रक्षा, व्यापार, संचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन विकास, संस्कृति, पर्यटन आदि क्षेत्रों में घनिष्ठ संबंध है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ का नेता बताते हुए कहा कि हम दोनों इस बात से सहमत हैं कि मालदीव में 65 प्रतिशत आबादी युवा है और उन्हें आतंकवाद एवं मजहबी कट्टरता के चंगुल में फंसने से रोकने के लिए रोजगारपरक विकास और शिक्षा के लिए काम करने की जरूरत है।
दोनों देशों के बीच हुए समझौते इस प्रकार हैं :
* अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन क्षेत्र में दोहरे कराधान से बचाव संबंधी समझौता।
* कर संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान संबंधी द्विपक्षीय समझौता।
* दक्षिण एशिया उपग्रह के लिए कक्षीय आवृत्ति संबंधी द्विपक्षीय समझौता।
* मालदीव में पुरानी मस्जिदों के संरक्षण और पुरातत्व स्थलों के संयुक्त सर्वेक्षण एवं उत्खनन संबंधी सहमति-पत्र।
* पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने संबंधी करार।
* हिन्द महासागरीय क्षेत्र में साझा रणनीतिक एवं सुरक्षा हितों के लिए एक संस्थागत प्रणाली के निर्माण करार।
यह रक्षा सचिव स्तरीय प्रणाली होगी, जो द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। (वार्ता)