गुजरात सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान यह बात का स्वीकार की है कि वर्ष 2012 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साबरमती आश्रम को पुनर्जीवित करने के लिए केन्द्र सरकार की सहायता के लिए 287 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया था। साथ ही उस समय प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेज दिया था।
मनमोहन सिंह सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर कोई ध्यान नहीं और बाद में सरकार भी चली गई। उसके बाद 2014 में खुद नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए। आश्चर्य की बात यह है कि उन्होंने भी अब तक इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी नहीं दी है, जबकि गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए यह प्रस्ताव मोदी ने ही भेजा था।
वर्तमान गुजरात सरकार ने भी इस बात को स्वीकार किया है। दरअसल, अगले साल केन्द्र सरकार गांधी जयंती के 150 सालों को बहुत ही भव्य तरीके से मनाने जा रही है। सोमवार को गुजरात के प्रवासन मंत्री गणपत वसावा ने बताया कि 2013 की सूची के मुताबिक, केन्द्र सरकार के पास गुजरात के मुद्दों में से गांधी आश्रम का एक मुद्दा भी शामिल है।
वसावा विधानसभा में कांग्रेस के एमएलए हिम्मत सिंह और गयासुद्दीन के सवालों के जवाब दे रहे थे। वसावा ने कहा कि पिछले दो सालों में गुजरात सरकार द्वारा इस मुद्दे पर दो बार फॉलोअप लिया गया था। पिछले साल गांधीजी के साबरमती आश्रम के सौ साल पूरे होने के बाद मोदी आश्रम आए थे। उम्मीद भी थी कि वे कुछ करेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ किया नहीं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जापान के शिंजो आबे, कनाडा के ट्रुडो जैसी विदेशी हस्तियां भी साबरमती आश्रम का दौरा कर चुकी हैं। कुछ समय पहले इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी आश्रम में गांधीजी का चरखा चलाया था। गुजरात के लोगों के मन में यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर इस हैरिटेज साइट को कब पुनर्जीवित किया जाएगा?