उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि पवित्र जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, खुद को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर अंतत: मोक्ष या आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त कर सकता है। वार्ष्णेय ने कहा कि स्नान अनुष्ठान के अलावा तीर्थयात्री पवित्र नदी के तट पर पूजा भी करते हैं और विभिन्न साधुओं और संतों के नेतृत्व में ज्ञानवर्धक प्रवचनों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।(भाषा)