उन्होंने कहा कि मानवाधिकार केवल नारा नहीं है बल्कि यह एक संस्कार होना चाहिए और लोकनीति का आधार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति एवं परंपरा में नागरिकों के सम्मान और समानता को जगह दी गई है। हमारी शासन व्यवस्था की तीन इकाई हैं। हमारे यहां एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका है, एक सक्रिय मीडिया है और एक नागरिक समाज भी है जो नागरिकों के मानवाधिकार की रक्षा करता है।
उन्होंने पिछले चार साल में अपनी सरकार द्वारा आम लोगों को घर, बिजली, रसोई गैस और शौचालय की सुविधा देने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने गरीब और वंचित लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार दिया है। यह उनका मानवाधिकार था।
मोदी ने कहा कि शौचालय न होने की स्थिति में गरीब बहुत अपमान झेलता था और गरीब बहनों को भी बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी, लेकिन उन्हें शौचालय के रूप में इज्जत घर प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि 'सबको कमाई, सबको पढ़ाई, सबको दवाई, सबकी सुनवाई' के जरिए लोगों को गरीबी से बाहर निकला गया है। उन्होंने जनभागीदारी को सफलता का मूल मंत्र बताया।
मोदी ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम, मुद्रा योजना तथा जन-धन योजना का भी जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने अपनी नीतियों में मानवधिकार को मजबूत बनाया है। प्रधानमंत्री ने तीन तलाक अध्यादेश के जरिए मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की चर्चा व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त कि संसद में इसे पारित किया जाएगा।