नई दिल्ली। फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर कांग्रेस के आरोपों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की मौजूदगी में जोर दिया कि दोनों देशों में द्विपक्षीय संबंधों को लेकर सभी दलों में सहमति है और फ्रांस के साथ संबंधों का ग्राफ सिर्फ ऊंचा ही जाता है, चाहे सरकार किसी की हो। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रेस वक्तव्य में कहा कि रक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष और उच्च प्रौद्योगिकी में भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय सहयोग का इतिहास बहुत लंबा है।
दोनों देशों में द्विपक्षीय संबंधों के बारे में सभी दलों में सहमति है। सरकार किसी की भी हो, हमारे संबंधों का ग्राफ सिर्फ और सिर्फ ऊंचा ही जाता है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों के बीच विस्तृत बातचीत के बाद भारत और फ्रांस ने सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ गोपनीय सूचनाओं के संरक्षण जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते किए।
दोनों देशों के बीच 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों नेताओं की मौजूदगी में शिक्षा, पर्यावरण, शहरी विकास और रेलवे के क्षेत्र में भी करार किए गए हैं। मैक्रों के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों का रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूत सहयोग है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और फ्रांस ने आतंकवाद और कट्टरता से निपटने के लिए के मिलकर काम करने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग महत्वपूर्ण है। मोदी और मैक्रों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा की। कल रात भारत पहुंचे मैक्रों का शनिवार सुबह राष्ट्रपति भवन में औपचारिक तौर पर स्वागत किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अगवानी की, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फ्रांस और भारत की एक मंच पर उपस्थिति एक समावेशी, खुले और समृद्ध व शांतिमय विश्व के लिए सुनहरा संकेत है। हमारे दोनों देशों की स्वायत्त और स्वतंत्र विदेश नीतियां सिर्फ अपने-अपने हित पर ही नहीं, अपने देशवासियों के हित पर ही नहीं, बल्कि सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को सहेजने पर भी केंद्रित है। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए यदि कोई दो देश कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं, तो वे भारत और फ्रांस हैं। आज की हमारी बातचीत में जो निर्णय लिए गए, उनका एक परिचय आपको अभी हुए समझौतों में मिल गया है और इसलिए मैं सिर्फ 3 विशिष्ट विषयों पर अपने विचार रखना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध बहुत गहन हैं और भारत, फ्रांस को सबसे विश्वस्त रक्षा साझेदारों में एक मानता है। दोनों देशों की सेनाओं के सभी अंगों के बीच विचार-विमर्श और युद्ध अभ्यासों का नियमित रूप से आयोजन होता है। रक्षा उपकरणों और उत्पादन में दोनों देशों के संबंध मजबूत हैं। रक्षा क्षेत्र में फ्रांस द्वारा 'मेक इन इंडिया' कीप्रतिबद्धता का हम स्वागत करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारी सेनाओं के बीच एक-दूसरे को लॉजिस्टिक सहयोग के समझौते को मैं हमारे घनिष्ठ रक्षा सहयोग के इतिहास में एक स्वर्णिम कदम मानता हूं। हिन्द महासागर क्षेत्र में सहयोग को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि हम दोनों का मानना है कि भविष्य में विश्व में सुख-शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए हिन्द महासागर क्षेत्र की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। उन्होंने कहा कि चाहे पर्यावरण हो, या सामुद्रिक सुरक्षा, या सामुद्रिक संसाधन, या नौवहन एवं उड़ान भरने की स्वतंत्रता- इन सभी विषयों पर हम अपना सहयोग मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसलिए आज हिन्द महासागर क्षेत्र में अपने सहयोग के लिए एक संयुक्त सामरिक दृष्टि जारी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हिन्द महसागर क्षेत्र में चीन की ओर से प्रभाव बढ़ाने की कोशिशों के बीच इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मोदी ने कहा कि तीसरा, दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयाम है। लोगों से लोगों के संपर्क, विशेष रूप से हमारे युवाओं के बीच। हम चाहते हैं कि हमारे युवा एक-दूसरे के देश को जानें, एक-दूसरे के देश को देखें, समझें, वहां रहें, वहां काम करें ताकि हमारे संबंधों के लिए हजारों राजदूत तैयार हों। इस दिशा में समझौता महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों के अन्य कई आयाम हैं। रेलवे, शहरी विकास, पर्यावरण, सुरक्षा, अंतरिक्ष यानी जमीन से आसमान तक ऐसा कोई विषय नहीं है जिस पर हम साथ मिलकर काम न कर रहे हों। अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी दोनों देश सहयोग और समन्वय के साथ काम करते हैं। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि अफ्रीकी देशों से भारत और फ्रांस के मजबूत संबंध रहे हैं। ये हमारे सहयोग का एक और आयाम विकसित करने का मजबूत आधार प्रदान करते हैं। रविवार को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना से जुड़े सम्मेलन की सह-अध्यक्षता राष्ट्रपति मेक्रों और प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे साथ कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष और मंत्रीगण भी उपस्थित होंगे। पृथ्वी के भविष्य की खातिर हम सभी अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की सफलता के लिए प्रतिबद्ध हैं। मोदी ने कहा कि मुझे आशा है कि परसों वाराणसी में आपको भारत की उस प्राचीन और साथ ही चिरनवीन आत्मा का अनुभव होगा जिसकी तरलता ने भारत की सभ्यता को सींचा है और जिसने फ्रांस के अनेक विचारकों, साहित्यकारों और कलाकारों को प्रेरित भी किया है। (भाषा)