क्या महाराष्ट्र में ‘हिन्दुत्व’ का नया चेहरा बनकर उभरीं हैं नवनीत राणा?
मंगलवार, 26 अप्रैल 2022 (12:13 IST)
हनुमान चालीसा और अजान विवाद के बीच पिछले चार दिनों से सुर्खियों में आईं नवनीत राणा के फूटेज लगातार न्यूज चैनल में नजर आ रहे हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक तरह से भूचाल आ गया है। जिसमें शिवसेना से लेकर भाजपा, एनसीपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कूद पडी हैं।
ऐसे में अब क्या ये कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र में नवनीत राणा हिन्दूत्व का नया चेहरा उभरकर आईं हैं। आइए जानते हैं राणा का राजनीतिक सफर और उनकी लव स्टोरी।
दक्षिणी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री नवनीत राणा 2019 में अमरावती से निर्दलीय सांसद चुनी गईं। उन्होंने तत्कालीन शिवसेना सांसद आनंदराव अडसुल को 48,000 मतों के भारी अंतर से हराया और सांसद बनीं। लेकिन एक्ट्रेस से सांसद बनने का उनका सफर आसान नहीं था।
12वीं तक पढ़ीं और मॉडल बन गईं
नवनीत कौर का जन्म 6 अप्रेल 1985 मुंबई में हुआ था। उनके माता-पिता पंजाबी मूल के हैं। उनके पिता एक सैन्य अधिकारी थे। नवनीत ने दसवीं कक्षा तक कार्तिक हाईस्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बारहवीं कक्षा पूरी करने के बाद, स्कूल छोड़ दिया और एक मॉडल के रूप में काम करना शुरू कर दिया। छह से सात साल के फिल्मी करियर के बाद 2 फरवरी 2011 को नवनीत राणा ने शादी के बंधन में बंध गए अमरावती जिले के बडनेरा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक रवि राणा के साथ।
फिल्मी है राणा की प्रेम कहानी
विधायक रवि राणा और नवनीत कौर की प्रेम कहानी फिल्म की प्रेम कहानी के समान है। 2010 में, रवि राणा और नवनीत कौर की मुलाकात मुंबई में योग गुरु बाबा रामदेव के एक योग शिविर में हुई थी। योग गुरु बाबा रामदेव स्वयं मध्यस्थ थे इस जोड़े ने 2 फरवरी, 2011 को अमरावती में 3300 से अधिक जोड़ों के साथ आयोजित एक भव्य सामूहिक विवाह समारोह में शादी की और नवनीत कौर नवनीत रवि राणा बन गईं।
सामाजिक कार्यों का सहारा
शादी के कुछ ही दिनों में नवनीत राणा अपने पति रवि राणा के साथ सामाजिक कार्यों में लग गई। तीन साल तक जिले का भ्रमण करने के बाद, नवनीत राणा 2014 के लोकसभा चुनाव में कूद गईं। हालांकि, शिवसेना सांसद आनंदराव अडसुल भारी पड़ गए और नवनीत को हार माननी पड़ी। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से काम करना शुरू कर दिया। अगले पांच वर्षों के लिए अमरावती लोकसभा क्षेत्र का पुनर्निर्माण किया गया और 2019 में यह एक बार फिर से लड़ाई के लिए तैयार था। हालांकि, इस बार उन्होंने किसी पार्टी से चुनाव नहीं लड़ा। उन्होंने अपनी युवा स्वाभिमान पार्टी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी उम्मीदवारी दाखिल की। हालांकि, उन्हें कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन मिला। ओर इस समय नवनीत राणा की मेहनत रंग लाई।
अब ऐसे में जब वो मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर सुर्खियों में आईं हैं तो क्या ये समझा जा सकता है कि वो महाराष्ट्र में हिन्दूत्व का नया चेहरा बनकर उभर रही हैं।