न्यायाधीश ने 1923 के सरकारी गोपनीयता कानून की धारा 3(1) सी के तहत आरोपी को दोषी करार दिया जबकि एक अन्य आरोपी कमांडर (सेवानिवृत्त) जरनैल सिंह कालरा को मामले से बरी कर दिया। अदालत ने सजा सुनाते वक्त अभियोजन पक्ष के इस तर्क पर गौर किया कि राठौर के कब्जे से ऐसे कई गोपनीय दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनका उनके पास होने का कोई कारण नहीं है। (भाषा)