उन्होंने कहा कि हमें बड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) गैस मिली। उसके बाद हमने इमारत की अच्छे से जांच की। इमारत की तीसरी और चौथी मंजिल पूरी तरह से धुएं से भरी हुई थी जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा अधिक थी। गैस, तेल, कोयला और लकड़ी जैसे ईंधनों के पूरी तरह से नहीं जल पाने पर यह रंगहीन, गंधहीन खतरनाक गैस बनती है।
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर ने कहा कि टीम को इमारत की कुछ खिड़कियां सील मिली। उन्होंने कहा कि वहां एक ही कमरा था जिसमें अधिकतर मजदूर सो रहे थे और वहां हवा के आने-जाने के लिए केवल एक स्थान था। अधिकतर मजदूरों को तीसरी मंजिल से लाया गया था। इमारत में रखे सामान के जलने की वजह से अधिक मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बन गई। शहर में 1997 में हुए उपहार सिनेमा हादसे के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा आग हादसा है।