यह प्रदर्शन यहां प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुआ और इसमें कुलदीप नैय्यर, अरुण शौरी, एचके दुआ और एस निहाल सिंह जैसे वरिष्ठ पत्रकार शामिल हुए। कुछ दिन पहले ही सीबीआई ने एक निजी बैंक को कथित तौर पर चूना लगाने के मामले में रॉय के आवास समेत तीन अन्य स्थानों पर तलाशी ली थी। एनडीटीवी ने कार्रवाई को ‘कुछ पुराने’ गलत आरोपों के आधार पर बेवजह परेशान करना बताया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने आरोप लगाया कि सरकार दो प्रमुख साधनों के जरिए मीडिया को नियंत्रित कर रही है, इसमें पहला है विज्ञापनों के जरिए ‘रिश्वत की पेशकश’ करना और दूसरा है ‘अप्रत्यक्ष तौर पर डर फैलाना।’ उन्होंने कहा, ‘अब वे तीसरा साधन इस्तेमाल कर रहे हैं जो प्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाना है, उन्होंने एनडीटीवी के साथ जो किया वह इसी का उदाहरण है। मेरा मानना है कि आगामी महीनों में यह और बढ़ेगा।’ शौरी ने कहा, ‘मैं असहयोग का आह्वान करता हूं। उनके (सरकार की) संवाददाता सम्मेलनों का बहिष्कार कीजिए, उससे इनकार कीजिए।’
जानेमाने न्यायविद फली एस नरीमन ने कहा कि आपराधिक मामले में मुकदमे से कोई नहीं बच सकता। उन्होंने कहा, ‘लेकिन सीबीआई की छापेमारी का तरीका और हालात तथा इसके पीछे जो कथित तर्क दिया जा रहा है, इन्हें देखते हुए मुझे यह मानना पड़ रहा है कि यह सब निश्चित तौर पर प्रेस और मीडिया पर अनुचित हमला है।’ वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने पत्रकारों से आह्वान किया कि स्वतंत्र मीडिया के लिए इस जंग का वे मजबूती से सामना करें।
लोगों को संबोधित करते हुए प्रणय रॉय ने कहा, ‘मैं आज यहां संकल्प लेता हूं कि हम सभी आरोपों का खुलकर और पारदर्शिता से जवाब देंगे। मैं सिर्फ इतना अनुरोध कर रहा हूं कि प्रक्रिया को नियत समय में पूरा किया जाए।’ उन्होंने आरोपों को मनगढंत करार दिया और कहा, ‘राधिका और मैं, एनडीटीवी हमने काले धन का एक रुपया भी छुआ, कभी किसी को रिश्वत नहीं दी।’ एनडीटीवी के संस्थापक ने कहा कि उनकी लड़ाई सीबीआई या ईडी के खिलाफ नहीं बल्कि नेताओं के खिलाफ है जो उनके मुताबिक इन संस्थानों को बरबाद कर देना चाहते हैं।