डीआरआई की जांच के अनुसार इन कंपनी की सेज इकाइयों के हीरों/मोतियों की घोषित स्टॉक वैल्यू में अंतर पाया गया है। इससे साफ हो गया कि घरेलू शुल्क क्षेत्र में कुछ स्टॉक को अवैध रूप से लाया गया है। डीआरआई के अनुसार उपलब्ध दस्तावेजों की जांच से पता चला कि 890 करोड़ के माल पर लगने वाले 52 करोड़ के शुल्क से बचने के लिए इसे सेज इकाई के जरिए घरेलू बाजार में लाया गया।
सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसिया 13,500 करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले में नीरव मोदी, उनके कंपनी समूहों, व्यापारिक सहयोगियों की जांच के काम में लगा हुई हैं। (वार्ता)