हालांकि, अब पता चला है कि ऐसा कोई ऑफर उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से आया ही नहीं था बल्कि वह फिशिंग की शिकार हुई हैं। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की है और ईमेल के जरिए हुए कम्युनिकेशन की डीटेल्स पुलिस के साथ-साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रशासन को जांच के लिए सौंपी है।
ट्वीट में निधि ने लिखा है, 'जनू 2020 में मैंने यह कहते हुए 21 सालों की एनडीटीवी की नौकरी छोड़ी कि मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में जॉइन करने जा रही हूं। मुझे बताया गया था कि मैं सितंबर 2020 में यूनिवर्सिटी जॉइन करूंगी। मैं अपने नए असाइनमेंट की तैयारी कर रही थी इसी दौरान मुझे बताया गया कि महामारी की वजह से मेरी क्लासेस जनवरी 2021 में शुरू होंगी।'
निधि ने पोस्ट में लिखा कि लगातार हो रही देर के बीच मेरे नोटिस में कई सारी प्रक्रियागत विसंगतियां आईं। इसके बाद उन्होंने सीधे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने के लिए संपर्क साधा। उनके आग्रह पर मैंने उनसे वे सारे कम्युनिकेशन्स शेयर किए जो तथाकथित रूप से यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए थे। इसके बाद उन्हें पता चला कि वे साइबर फिशिंग की शिकार हुई है।