पेट्रोल, डीजल होगा महंगा, अमीरों पर बढ़ा कर बोझ, आवास ऋण के और अधिक ब्याज पर कर छूट

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019 (20:45 IST)
नई दिल्ली। नए जनादेश के साथ लौटी मोदी सरकार ने गांव, गरीब और किसान को सरकारी नीतियों के केंद्र में रखने के नारे के साथ पेश अपने बजट में बड़ी संख्या में कंपनियों के लिए कर भार कम करने और विदेशी निवेश को आसान बनाने सहित आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के कई उपायों की घोषणा की है। लेकिन वित्तीय चुनौतियों के बीच पेश इस बजट से राहत की उम्मीद लगाए बैठे नौकरीपेशा और मध्य वर्ग की उम्मीदें धरी रह गईं।
 
पेट्रोल, डीजल पर उपकर और सोने पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए वाहन ऋण पर कर छूट का लाभ दिया गया है। बजट में 2 करोड़ रुपए से अधिक कमाई करने वालों पर कर अधिभार बढ़ाने का प्रस्ताव है।
 
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अधिकांश कंपनियों को निम्न 25 प्रतिशत कर के दायरे में ला दिया है। यह सीतारमण का पहला बजट है।
 
बजट में सस्ते मकानों के लिए बैंक कर्ज पर अब 3.5 लाख करोड़ रुपए तक के ब्याज पर कर कटौती की छूट देने की घोषणा की गई है। अभी आवास ऋण के 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर आयकर छूट दी जाती है। बजट में पर्यावरण सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहन दिया गया है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैंक ऋण पर 1.5 लाख रुपए तक के ब्याज पर कर की छूट मिलेगी।
 
स्टार्टअप को बढ़ावा देते हुए उनके लिए नियमों को सरल बनाया गया है और विभिन्न प्रकार की जांच-पड़ताल से निजात देने की घोषणा बजट में की गई है।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का नकदी संकट दूर करने के उपायों की घोषणा की है। बजट में कहा गया है कि सरकारी बैंक एनबीएफसी कंपनियों के 1 लाख करोड़ रुपए के ऋण खरीद सकते हैं और बैंकों को इसके लिए एकबारगी अल्प अवधि की 'क्रेडिट गारंटी' दी जाएगी। 
 
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी उपलब्धता बढ़ाने के वास्ते चालू वित्त वर्ष के दौरान उनमें 70,000 करोड़ रुपए की पूंजी डाली जाएगी। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों का निजीकरण कर संसाधन जुटाने का भी प्रस्ताव किया गया है। 
 
निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री बनी हैं। उन्होंने कर बोझ कम करने की उद्योग जगत की मांग पर गौर करते हुए 400 करोड़ रुपए सालाना कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कंपनी कर की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दी। उन्होंने कहा कि इस कदम से 99.3 प्रतिशत कंपनियां कम कर के दायरे में आ जाएंगी। अब तक 250 करोड़ कारोबार करने वाली कंपनियां पर ही 25 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा था।
 
आम वेतनभोगी तबके को आयकर के मामले में कोई नई राहत नहीं दी गई है, हालांकि अंतरिम बजट में की गई घोषणा को दोहराते हुए सीतारमण ने 5 लाख रुपए सालाना की करयोग्य आय वालों को कर छूट जारी रखी है। 
 
कर स्लैब में उन्होंने कोई छेड़छाड़ नहीं की और उस संबंध में अपने भाषण में कुछ नहीं कहा। उन्होंने 45 लाख रुपए तक का मकान खरीदने के लिए 31 मार्च 2020 तक लिए गए आवास ऋण पर ब्याज में 1.50 लाख रुपए की अतिरिक्त कर छूट देने की भी घोषणा की। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देते हुए उनकी खरीद के कर्ज पर ब्याज में 1.50 लाख रुपए तक की कर कटौती का प्रस्ताव किया है। 
 
वित्तमंत्री ने संसाधन जुटाने के ध्येय से 2 करोड़ रुपए और उससे अधिक कमाई करने वालों पर अधिभार बढ़ाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि 2 करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपए तक और 5 करोड़ रुपए से अधिक की करयोग्य आय पर क्रमश: 3 प्रतिशत और 7 प्रतिशत तक अधिभार बढ़ जाएगा।
 
अब तक 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए तक की सालाना कमाई करने वालों पर 10 प्रतिशत की दर से और 1 करोड़ रुपए से अधिक की आय पर 15 प्रतिशत की दर से अधिभार लागू है। नई घोषणा में 2 से 5 करोड़ और 5 करोड़ रुपए से अधिक पर अधिभार बढ़ाया गया है। बढ़े अधिभार से इस आय वर्ग के करदाताओं की प्रभावी कर दर 3 से 7 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी।
 
सीतारमण ने अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर 1 रुपए अतिरिक्त विशेष उत्पाद शुल्क और उपकर लगाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम नीचे बने हुए हैं। इससे उन्हें इन उत्पादों पर कर समीक्षा का मौका मिला है।
 
वित्तमंत्री सीतारमण ने सोने और कीमती धातुओं पर आयात शुल्क को 10 से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम से भी उन्हें राजस्व संसाधन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा टाइलों, ऑटो कलपुर्जों, कुछ सिंथेटिक रबर, डिजिटल और वीडियो रिकॉर्डर, सीसीटीवी कैमरा, विनायल फ्लोरिंग और काजू गिरी आदि पर सीमा शुल्क की मूल दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। 
 
कुछ सिगरेटों पर उत्पाद शुल्क में भी वृद्धि की गई है। 65 मिलीमीटर से अधिक लंबी सिगरेट पर 5 रुपए प्रति 1 हजार इकाई उत्पाद शुल्क लगाया गया है। इसी प्रकार चबाने वाले तंबाकू, जर्दा और अन्य तंबाकू पर 0.5 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाया गया है। 
 
वित्तमंत्री ने बैंक खाते से 1 साल में 1 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी पर 2 प्रतिशत की दर से टीडीएस लगाने का भी प्रस्ताव किया है। उन्होंने कर रिटर्न दाखिल करने के लिए पैन नहीं होने पर आधार कार्ड के इस्तेमाल का भी प्रस्ताव किया है। 
 
वित्तमंत्री ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह बढ़ाने के लिए सरकार विमानन, मीडिया, एनिमेशन और बीमा क्षेत्र में एफडीआई नियमों को अधिक उदार बनाने को लेकर विचार-विमर्श करेगी।
 
बजट में इसके साथ ही बीमा मध्यस्थों के क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है। एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में स्थानीय स्तर पर माल खरीदने के नियमों में और राहत दी जाएगी। वित्तमंत्री ने कर अनुपालन बेहतर करने और करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने में सरलता के लिए भी उपायों की घोषणा की है।
 
अर्थव्यवस्था में नकदीरहित लेन-देन बढ़ाने के लिए 50 करोड़ रुपए सालाना कारोबार करने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भीम, यूपीआई, आधार पे, नेफ्ट, आरटीजीएस से ही भुगतान करने को कहा गया है। ऐसा लेन-देन करते हुए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा। ग्राहकों और व्यापारियों से बैंक किसी तरह का मर्चेंट डिस्काउंट रेट भी नहीं वसूलेंगे।
 
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक और बैंक इस पर आने वाली पूरी लागत को खुद वहन करेंगे। प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी) के मामले में वित्तमंत्री ने कहा कि इसे सौदे के निपटान और विकल्प के तहत होने वाले सौदे के मूल्य के अंतर पर तक ही सीमित रखा जाएगा। 
 
वित्तमंत्री ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र पर अगले 5 साल के दौरान सरकार 100 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी। वित्त वर्ष 2019- 20 के लिए विनिवेश लक्ष्य को बढ़ाकर 1.05 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। इससे पहले अंतरिम बजट में 90 हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया था। 
 
एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा के तहत सीतारमण ने कहा कि आवास वित्त कंपनियों का नियमन राष्ट्रीय आवास बैंक से हटाकर रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र में कर दिया जाएगा। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और अधिक पूंजी उपलब्ध कराने के लिए 70 हजार करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। (भाषा)

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