G20 Summit : यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और चीन ने जताई आपत्ति, ज्वाइंट स्टेटमेंट के बिना ही खत्म हुई जी-20 की बैठक

रविवार, 26 फ़रवरी 2023 (00:39 IST)
बेंगलुरू। दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 के वित्तीय प्रमुखों की बैठक शनिवार को ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी किए बगैर ही खत्म हो गई। हालांकि जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की बैठक खत्म होने के बाद सारांश और परिणाम दस्तावेज जारी किए गए।
 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां पर आयोजित दो-दिवसीय जी-20 बैठक खत्म होने के बाद कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले को वर्णित करने के तरीके को लेकर मतभेद उभरने से ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी नहीं किया जा सका। 
 
दरअसल, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का एक साल पूरा होने पर अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों के नेता इस सैन्य कार्रवाई के लिए रूस की निंदा का प्रस्ताव लाना चाहते थे, लेकिन चीन और रूस राजनीतिक मसले पर चर्चा के लिए जी20 मंच का इस्तेमाल करने के खिलाफ थे। 
 
मेजबान भारत का प्रारंभिक मत था कि जी-20 इस तरह के मुद्दे को संबोधित करने का मंच नहीं है लिहाजा वह इसे संकट या चुनौती जैसे तटस्थ शब्दों से परिभाषित करने के पक्ष में था।
 
सीतारमण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस और चीन की आपत्तियों को देखते हुए जी20 बैठक के बाद संयुक्त विज्ञप्ति नहीं जारी की जा सकी। हालांकि इसमें हटाए गए पैराग्राफ एकदम वही थे जिस पर जी-20 के नेताओं की नवंबर में संपन्न बाली बैठक में सहमति बनी थी।
 
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि इस पैराग्राफ की भाषा एकदम जी20 बाली उद्घोषणा से ही ली गई थी। लेकिन रूस और चीन का कहना था कि यह बैठक वित्तीय एवं आर्थिक मसलों पर हो रही है लिहाजा इसमें यूक्रेन मसले का जिक्र करने का कोई अर्थ नहीं है।
 
हालांकि बैठक के बाद जारी सारांश में कहा गया है कि जी-20 सदस्यों ने यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी राष्ट्रीय स्थितियों को ही दोहराया है।
 
सारांश दस्तावेज के मुताबिक अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा करने के साथ इस पर जोर दिया कि यह अत्यधिक मानवीय पीड़ा पैदा कर रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है।
 
इसके साथ ही सारांश दस्तावेज में कहा गया कि हालात और प्रतिबंधों के आकलन को लेकर अलग मत था। जी20 के सुरक्षा संबंधी मुद्दों के समाधान का मंच न होने की बात स्वीकार करते हुए भी हमारा मत है कि सुरक्षा मुद्दों के वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अहम नतीजे हो सकते हैं। इस विशेष पैराग्राफ पर रूस और चीन सहमत नहीं थे।
 
इस दो-दिवसीय बैठक में व्यापक मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें गरीब देशों को कर्ज राहत, डिजिटल मुद्राओं और भुगतान, विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय ऋण संस्थान में सुधार, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय समावेशन जैसे मुद्दे शामिल हैं।
 
इस बैठक में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 'ऋण से जुड़ी कमजोरियों' पर खास चर्चा की गई। इसमें जाम्बिया, इथियोपिया, घाना और श्रीलंका में ऋण पुनर्गठन को हरी झंडी दिखाते हुए कहा गया, 'कर्ज की बिगड़ती स्थिति दूर करने और ऋणग्रस्त देशों के लिए समन्वित कर्ज समाधान की सुविधा के लिए आधिकारिक द्विपक्षीय और निजी लेनदारों द्वारा बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की जरूरत है।'
 
सारांश वक्तव्य के मुताबिक 'हम निष्पक्ष और व्यापक तरीके से वैश्विक ऋण परिदृश्य पर जी20 टिप्पणी तैयार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय अवसंरचना कार्य समूह को काम सौंपते हैं।'
 
सीतारमण के सारांश में कहा गया है कि अक्टूबर 2022 में पिछली बैठक के बाद से वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण में मामूली सुधार हुआ है। हालांकि कई उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में ऋण कमजोरियों की स्थिति से जुड़े जोखिम बने हुए हैं। इसमें व्यापक नीति सहयोग को जारी रखने और सतत विकास एजेंडा 2030 की दिशा में प्रगति को जारी रखने का भी जिक्र किया गया।
 
इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) कोटा की पर्याप्तता पर भी नए सिरे से गौर किया गया। सदस्य देश सामान्य समीक्षा के तहत आईएमएफ शासन सुधार की प्रक्रिया जारी रखेंगे, जिसमें 15 दिसंबर 2023 तक कोटा समीक्षा का कार्य पूरा करने की बात कही गई है। भाषा Edited By : Sudhir Sharma 

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