नई दिल्ली। करीब 30 करोड़ स्थायी खाता संख्याओं (पैन) में से लगभग 14 करोड़ को अब तक राष्ट्रीय डिजिटल पहचान संख्या से जोड़ा जा चुका हैं। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पांडे ने कहा कि बैंक खातों को बायोमैट्रिक पहचान से जोड़ने की स्थिति बेहतर है।
अनुमानित 100 करोड़ से अधिक बैंक खातों में से करीब 70 प्रतिशत खाते जोड़े जा चुके हैं। उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह ही नए बैंक खातों, फोन कनेक्शन सहित सभी सेवाओं के साथ आधार संख्या जोड़ने की समय-सीमा को 31 मार्च 2018 तक बढ़ा दिया।
इस तरह अनुमानित 100 करोड़ बैंक खातों में से 70 करोड़ बैंक खातों को आधार से जोड़ा जा चुका है। उन्होंने कहा कि हम आधार से जोड़ने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। हमने सभी बैकों की शाखाओं में आधार के लिए उंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों को स्कैन करने की सुविधा प्रदान करने को कहा है, ताकि लोगों को किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
सरकार विभिन्न प्रकार की सेवाओं को जैसे कि क्रेडिट कार्ड, बैंक खातों, मोबाइल फोन आदि को आपस में जोड़ना चाहती है ताकि कर चोरी को रोका जा सके। दुनिया में अपनी तरह के इस सबसे बड़े बायोमैट्रिक डेटा बेस योजना में अब तक 119 करोड़ निवासी आधार कार्ड बनवा चुके हैं। यह 12 अंकों की पहचान संख्या है जिसमें उंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों को स्कैन किया जाता है। उन्होंने कहा कि आधार से सरकार के करोड़ों रुपए की बचत हुई है। इससे खाद्य और नकद लाभ अंतरण को सीधे लाभार्थी तक पहुंचाने में मदद मिल रही है और इसका दुरुपयोग रुका है। (भाषा)