नई दिल्ली। सबसे बड़े मोबाइल वॉलेट पेटीएम ने अपने प्लेटफॉर्म पर भीम यूपीआई का इस्तेमाल करके सरलता से किसी भी बैंक खाते में रुपए भेजने एवं प्राप्त करने की सुविधा शुरू की है।
कंपनी ने बुधवार को यहां जारी बयान में कहा कि इसका उपयोग करना बहुत ही सरल है और पेटीएम वॉलेट का उपयोग करने वाले ऐप पर अपनी खुद की पेटीएम भीम यूपीआई आईडी बना सकते हैं, जो पेटीएम पेमेंट्स बैंक द्वारा जारी की जाएगी। पेटीएम के उपयोगकर्ता अपने बचत खाते को इस पेटीएम भीम यूपीआई आईडी से लिंक कर सकते हैं और पैसे भेजना तथा प्राप्त करना शुरू कर सकते हैं। पेटीएम भीम यूपीआई आईडी सभी बैंकों तथा भीम यूपीआई ऐप पर स्वीकार की जा रही है।
उसने कहा कि पेटीएम भीम यूपीआई आईडी बनाना बहुत सरल है। इस फीचर का प्रीव्यू वर्तमान में पेटीएम एंड्रॉयड ऐप पर उपलब्ध है और जल्द ही यह आईओएस पर भी उपलब्ध कराया जाएगा। पेटीएम भीम यूपीआई के साथ 2 बैंक खातों के बीच कितनी ही बार और तुरंत पैसों का लेन-देन किया जा सकता है।
इसके लिए लाभार्थी को जोड़ने का इंतजार करने की जरूरत भी नहीं है। पैसे पाने के लिए उन्हें किसी के भी साथ अपने बैंक खाते की जानकारियां तथा आईएफएससी कोड को साझा करने की भी जरूरत नहीं है। इससे अधिक विकल्पों, ज्यादा आसानी तथा सहूलियत के साथ डिजिटली लेन-देन करने में सक्षम होंगे।
उसने कहा कि वह अपने 50 लाख व्यापारिक साझेदारों को भी पेटीएम भीम यूपीआई आईडी बनाने और उनका इस्तेमाल करके पैसे स्वीकार करने के लिए प्रशिक्षण देगा। व्यापारियों को एक ही पेटीएम भीम यूपीआई आईडी से कई बैंक खाते जोड़ने और सीधे अपने बैंक खातों में पैसे स्वीकार करने की सहूलियत भी देगा। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनसीपीआई) के दिशा-निर्देशों के अनुसार उपयोगकर्ता भीम यूपीआई का इस्तेमाल करके प्रतिदिन 1 लाख रुपए तक भेज सकते हैं जबकि पैसे पाने की कोई सीमा नहीं है।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेणु सत्ती ने कहा कि सच्चे मायने में एक सार्वजनिक पेटीएम प्लेटफॉर्म बनने के लिए उपभोक्ताओं तथा व्यापारियों के पास भुगतान के स्रोत एवं गंतव्य को चुनने के लिए कई सारे विकल्प होने चाहिए।
अपने बड़े उपभोक्ता आधार तथा व्यापारिक नेटवर्क को भीम यूपीआई उपलब्ध कराकर पेटीएम ने डिजिटल भुगतान की नई लहर शुरू की है। सॉफ्टबैंक समर्थित पेटीएम के 28 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ता, 12 करोड़ ऐप डाउनलोड और 50 लाख से ज्यादा ऑफलाइन व्यापारी जुड़े हुए हैं। (वार्ता)