उनका पूरा नाम ईवी रामास्वामी नायकर था और वे गांधीजी से भी प्रभावित थे। पेरियार वर्ष 1919 में कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन 1925 में उन्होंने इससे इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उन्होंने 1925 में आत्मसम्मान आंदोलन की शुरुआत की।
उसके बाद साल 1929-1932 से उन्होंने ब्रिटेन, यूरोप और रूस का दौरा किया। 1939 में वे जस्टिस पार्टी के प्रमुख बने, जो कि कांग्रेस के प्रमुख विकल्प में से एक थी। 1944 में जस्टिस पार्टी का नाम द्रविदर कझकम कर दिया गया। बाद में यह पार्टी दो भाग द्रविड़ कझकम और द्रविड़ मुनेत्र कझकम में बंट गई।
पेरियार ऐसे क्रांतिकारी विचारक के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने आडंबर और कर्मकांडों पर निर्मम प्रहार किए। उन्होंने जाति प्रथा बरकरार रहने के विरोध में तमिलनाडु को अलग देश बनाने की कल्पना भी पेश की थी। उन्होने अपने को सत्ता की राजनीति से अलग रखा तथा आजीवन दलितों तथा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए प्रयास किया।