तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में आने वाले बदलाव के अनुरूप पूरे देश में समान रूप से पेट्रोल, डीजल के दाम घटाती अथवा बढ़ातीं हैं, लेकिन राज्यों में स्थानीय स्तर पर अलग-अलग दर से लगने वाले बिक्री कर अथवा मूल्य वर्धित कर (वैट) के कारण इनके दाम में अंतर रहता है।
तेल कंपनियों ने सात जून से जब दोनों ईंधनों के दाम में दैनिक संशोधन की शुरुआत की है, तब से लगातार दाम बढ़ते चले गए हैं। इससे पहले कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण को काबू करने के लिए लागू लॉकडाउन के चलते लगातार 82 दिन तक दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिन्दुस्तान पेट्रालियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने उत्पाद शुल्क वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर डालने के बजाय तब उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई गिरावट के साथ समायोजित कर दिया था।(भाषा)