विदेश सचिव ने बताया कि बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी आह्वान किया कि माहौल खराब करने वाली किसी भी बयानबाजी से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने एक लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश के लिए भारत का समर्थन दोहराया।
मिस्री ने बैठक के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि भारत संबंधों के लिए जन-केंद्रित दृष्टिकोण में विश्वास करता है। उन्होंने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे सहयोग पर प्रकाश डाला, जिससे दोनों देशों के लोगों को बहुत लाभ मिला है। इस भावना के साथ, उन्होंने प्रोफेसर यूनुस को व्यावहारिकता की भावना के आधार पर बांग्लादेश के साथ सकारात्मक और रचनात्मक संबंध बनाने की भारत की इच्छा को रेखांकित किया।
विदेश सचिव के मुताबिक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने सीमा पर कानून के सख्त क्रियान्वयन तथा सीमा सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए, विशेष रूप से रात के समय अवैध तरीके से सीमा पार करने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के मुद्दे पर चर्चा की।
मिस्री से जब सवाल किया गया कि क्या यूनुस ने हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया, तो उन्होंने इसका स्पष्ट जवाब नहीं दिया। विदेश सचिव ने कहा कि इस मुद्दे पर फिलहाल बात करना उचित नहीं है और मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि उसे बांग्लादेश से अनुरोध प्राप्त हुआ है।