एयरस्ट्राइक के बाद मैं चुरू में आया था और मैंने कहा था- 'सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झूकने दूंगा'। आज मैं राजस्थान की धरती से देशवासियों से कहना चाहता हूं- 'जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिलाया है। जो हिंदूस्तान का लहू बहाते थे आज कतरे-कतरे का हिसाब चुकाया है, जो सोचते थे भारत चुप रहेगा आज वह घरों में दुबके पड़े हैं। जो अपने हथियारों पर घमंड करते थे, आज वह मलबे के ढेर में दबे हुए हैं'।