उन्होंने कहा कि इस दिन को उसी महत्व के साथ मनाया जाएगा जैसे दो अक्टूबर को अहिंसा दिवस, 31 अक्टूबर को एकता दिवस, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस, रामनवमी, कृष्ण अष्टमी आदि पर्व मनाये जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “इस दिन को न केवल आदिवासी समाज के योगदान को याद करने के लिए मनाया जाएगा, बल्कि समरसता पूर्ण समाज के प्रतीक के रूप में भी याद किया जाएगा।”