नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने के मुद्दे पर विपक्षी दलों में मतभेद सामने आ गए हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आज इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने और वित्तमंत्री को इसके लिए जवाबदेह बनाने की मांग की थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस इसके खिलाफ है।
उसके नेता एवं सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने यहां कहा कि जेपीसी इसका समाधान नहीं है। हम चाहते हैं कि सच्चाई जल्द से जल्द सामने आए। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक में विभिन्न मामलों पर आठ बड़ी संयुक्त संसदीय समितियां गठित हुई हैं और उनमें से अधिकतर की रिपोर्ट या तो विपक्ष ने अस्वीकार कर दी या सदस्यों ने उन पर अपनी असहमति दर्ज कराई है।
तृणमूल नेता ने कहा कि बोफोर्स घोटाले, हर्षद मेहता मामले और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी जेपीसी की जांच में कोई संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आ पाए। इससे पहले माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पंजाब नेशनल बैंक घोटला मामले में जेपीसी गठित की जानी चाहिए और वर्तमान वित्तमंत्री को सभी संबंधित सवालों का जवाब देने के लिए इसके समक्ष बुलाया जाना चाहिए।
उसने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन उद्योगपतियों के नाम उजागर करना चाहिए, जिनका दो लाख करोड़ रुपए का एनपीए माफ किया गया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की संचालन समिति ने गत 17 फरवरी को एक बैठक में यह तय किया था कि वह इस तरह की समिति के गठन की मांग करेगी, क्योंकि मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरे बैंकिंग तंत्र को ठगा गया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी मामले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग का समर्थन किया है। (वार्ता)