पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पूरे मुद्दे को उठाते हुए सीधे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को घेरते हुए लिखा कि “राम मंदिर निर्माण में भी भ्रष्टाचार का अवसर ढूँढ लिया? VHP ना पूर्व में एकत्रित चंदे का हिसाब देती है ना अब उनसे उम्मीद है। योगी जी आप तो अपने मुख्यमंत्री रहते हुए भगवान राम मंदिर निर्माण में इस प्रकार का भ्रष्टाचार तो ना होने दें। यदि यह सही नहीं है तो स्पष्टीकरण दें।
दिग्विजय सिंह पूरे जमीन खरीदी की रजिस्ट्री के पेपर सार्वजनिक करते हुए लिखा कि सुल्तान अंसारी ने 18 मार्च 2021 को 2 करोड़ रुपए में जमीन खरीदी और मंदिर ट्रस्ट ने सुल्तान अंसारी से 18 मार्च 2021 को ही 18.50 करोड़ रुपए में जमीन खरीद ली। दोनों ही जमीन खरीदी के गवाह रहे रवि मोहन तिवारीयानि 2 घंटे में 16.50 करोड़ का घोटाला।
वहीं इन आरोपों के बाद अब ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने एक बयान जारी कर सफाई दी है। उनकी ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि 9 नवंबर, 2019 को श्री राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद अयोध्या में जमीन खरीदने के लिए देश के कई लोग आने लगे। वहीं खुद उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के विकास के लिए बड़ी मात्रा में जमीन खरीद रही है, इस कारण अयोध्या में जमीनों के दाम बढ़ गए।
मंदिर परिसर को वास्तु अनुसार सुधारने,यात्रियों के लिए आने जाने का रास्ता ठीक करने और मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से छोटे बड़े मंदिरों और मकानों को पूर्ण सहमति से खरीदा गया था। अब तक जितनी भी जमीन ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई वह बाजार के रेट से कम कीमत पर खरीदी गई है। चंपत राय ने पूरे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है।