नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रवाद पर दिए भाषण को कांग्रेस ने आरएसएस को सच का आईना दिखाना करार दिया, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने मुखर्जी के जाने पर आज कई सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने वहां जाकर राष्ट्रवाद पर संबोधन क्यों दिया जबकि वह उनकी पीढ़ी के नेताओं को हमेशा संघ के इरादे एवं योजना को लेकर आगाह करते रहे। वैसे, मुखर्जी के जाने और संबोधन पर तिवारी के सवाल खड़े किए जाने को लेकर कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर टिप्पणी से इंकार कर दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, 'इस मामले पर पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कल विस्तृत रूप से बयान दिया। अब इस बारे में कुछ कहने के लिए नहीं बचा है।'
यह पूछे जाने पर कि क्या मुखर्जी को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय है तो गोहिल ने कहा कि सुरजेवाला ने जो कहा है, वही कांग्रेस की राय है। तिवारी ने आज एक के बाद एक कई ट्वीट कर मुखर्जी के नागपुर जाने पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा, 'प्रणब मुखर्जी, क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं जिसका आपने अब तक जवाब नहीं दिया है और जो लाखों धर्मनिरपेक्षतावादी और बहुलवादी लोगों को अखर रहा है। आपने आरएसएस मुख्यालय जाने और राष्ट्रवाद पर संबोधन देने का फैसला क्यों किया?'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'आपकी पीढ़ी 1980 और 1990 के दशक में आरएसएस के इरादे और योजना को लेकर हमारी पीढ़ी को हर एक शिविर में आगाह करती रही। आप उस सरकार का हिस्सा थे जिसने 1975 और 1992 में आरएसएस को प्रतिबंधित किया। आपको नहीं लगता कि आपको हमें यह बताना चाहिए कि उस वक्त आरएसएस में क्या बुराई थी और आज वही आरएसएस कैसे भली हो गई?'
तिवारी ने कहा, 'या तो उस समय हमें जो बताया गया वो गलत था या फिर आपने आरएसएस को जो सम्मान दिया है वह सार्वजनिक जीवन में आपके कद के अनुकूल नहीं है। क्या यह वैचारिक मेलमिलाप है और राजनीतिक परिदृश्य/रुख में कड़वाहट कम करने का प्रयास है जैसा कि आलोचक कह रहे हैं?'
उन्होंने कहा, 'जो भी मकसद रहा हो, लेकिन इसे आरएसएस को धर्मनिरपेक्ष एवं बहुलवादी चेतना में शामिल करने के प्रयास के तौर पर देखा जाएगा।' मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय में संबोधन के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गुरुवार को कहा था कि मुखर्जी ने संघ को 'सच का आईना' दिखाया और नरेंद्र मोदी सरकार को 'राजधर्म' की याद दिलाई।
'राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम' के बारे में आरएसएस मुख्यालय में अपने विचार साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा बहुलतावाद एवं सहिष्णुता में बसती है। मुखर्जी ने कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं। हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं। (भाषा)