Tariff के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर गिराया H-बॉम्ब, क्या बोला MEA

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (19:16 IST)
भारत पर तगड़ा टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका ने एच-1 वीजा को लेकर नया ऐलान किया है। अमेरिका अब H-1B वीजा के लिए हर साल एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) एप्लीकेशन फीस वसूलेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को व्हाइट हाउस में इस ऑर्डर पर साइन किए। नए चार्ज 21 सिंतबर से लागू होंगे। ब्रांड गुरु और  Harish Bijoor Consults Inc  के संस्थापक हरीश बिजूर ने एच-1बी वीज़ा मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसे अमेरिका की 'टैरिफ बम' रणनीति का नया वर्जन यानी  Version 2.0 बताया।
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ट्रंप के इस फैसले को उन्होंने कहा कि एच-बम गिराया जा चुका है और यह एच-बम वास्तव में एच-1बी वीजा बम है। उन्होंने कहा कि यह फैसला बताता है कि अमेरिका को अब भारतीय आईटी प्रोफेशन की आवश्यकता नहीं है। अमेरिका भारत और भारतीय आईटी सेक्टर को स्पष्ट मैसेज दिया जा रहा है कि ‘हमें आपकी आवश्यकता नहीं है, हम आपको नहीं चाहते। बिजूर ने आगे कहा कि यह भारत के लिए बेहद गंभीर संदेश है और अब यह देखना होगा कि देश इसका जवाब किस तरह से देता है और इसे कूटनीति के जरिए कैसे संभालता है।
अमेरिका के फैसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय का भी बयान सामने आया है। मंत्रालय ने कहा कि फैसले के असर का अध्ययन किया जा रहा है। H-1B के इस फैसले से मानवीय संकट। प्रतिभा की आवाजाही से दोनों देशों को लाभ होता था। H-1B वीजा के लिए पहले औसतन 5 लाख रुपए लगते थे।

यह 3 साल के लिए मान्य होता था। इसे 3 साल के लिए रिन्यू किया जा सकता था। अब अमेरिका में H-1B वीजा के लिए 6 साल में 5.28 करोड़ लगेंगे, यानी खर्च करीब 50 गुना से ज्यादा बढ़ जाएगा।

क्या कहा विदेश मंत्रालय ने 
भारत ने शनिवार को कहा कि एच1बी वीजा पर ट्रंप प्रशासन के नये प्रतिबंधों से मानवीय समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना है और उम्मीद जताई कि अमेरिकी अधिकारी इन ‘‘व्यवधानों’’ का उपयुक्त तरीके से समाधान करेंगे। भारत की यह प्रतिक्रिया अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (88 लाख रुपये) वार्षिक शुल्क लगाये जाने संबंधी घोषणा पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद आई है।
 
ट्रंप प्रशासन के इस कदम से अमेरिका में भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से परिवारों को होने वाली समस्याओं के कारण मानवीय संकट पैदा हो सकते हैं।
 
उन्होंने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इन व्यवधानों का उपयुक्त समाधान करेंगे। जायसवाल ने कहा कि इस कदम के ‘समग्र प्रभावों’’ का अध्ययन सभी संबंधित पक्षों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारतीय उद्योग जगत भी शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका, दोनों के उद्योगों की ‘‘नवाचार और रचनात्मकता में हिस्सेदारी है और उनसे आगे के सर्वोत्तम मार्ग पर परामर्श की उम्मीद की जा सकती है।’’
 
उन्होंने कहा कि कुशल प्रतिभाओं के आने-जाने एवं आदान-प्रदान ने अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और धन सृजन में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
 
जायसवाल ने कहा कि इसलिए नीति निर्माता हालिया कदमों का मूल्यांकन पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखते हुए करेंगे, जिसमें दोनों देशों के लोगों की जनता के स्तर पर मजबूत संबंध भी शामिल हैं। एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma

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