सोने की ईंट पर भव्य राम मंदिर बनाना चाहते हैं बाबर के वंशज

अयोध्या में राम मंदिर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दिन-प्रतिदिन सुनवाई हो रही है। कोर्ट में हर दिन विवादित जमीन को लेकर पक्षकारों के वकील मालिकाना हक को लेकर अपनी दलीलें रख रहे हैं। इस बीच मुगल बादशाह बाबर के वंशज प्रिंस हबीबुद्दीन तुसी ने विवादित जमीन पर अपना दावा ठोंक दिया है। इतना ही नहीं, अपना दावा ठोंकने के साथ ही हबीबुद्दीन कहते हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए वे सरकार को जमीन दान देने के साथ मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए सोने की ईंट भी देंगे।

मुगल वंश के संस्थापक बाबर और अंतिम शासक बहादुर शाह जफर की छठी पीढ़ी के वंशज हबीबुद्दीन तुसी से वेबदुनिया ने पूरे मामले को लेकर खास बातचीत की।

राम मंदिर के लिए सोने की ईंट देंगे : वेबदुनिया से खास बातचीत में बाबर के वंशज हबीबुद्दीन तुसी कहते हैं कि वे चाहते हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने।

अयोध्या में विवादित जमीन पर उनका मलिकाना हक है इसलिए वे भारत सरकार को राम मंदिर बनाने के लिए पूरी जमीन दान देना चाहते है। इतना ही नहीं, अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए वे भारत सरकार के सर्वोच्च प्रतिनिधि के तौर पर राष्ट्रपति को सोने की ईंट भी देंगे।

हबीबुद्दीन कहते हैं कि इस पूरे मामले पर जिस तरह सियासत हो रही है उसको वह सही नहीं मानते हैं। इस पूरे मुद्दे पर केवल राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं और सभी पक्षकार केवल पब्लिसिटी बटोर रहे हैं।

वे कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर को लेकर करोड़ों हिन्दुओं की आस्था जुड़ी है, इसलिए वे अपनी इस प्रॉपर्टी को राम मंदिर के लिए दान देना चाहते हैं।

विवादित जमीन पर उनका हक : वेबदुनिया से खास बातचीत में मुगल वंश के वंशज हबीबुद्दीन कहते हैं कि अयोध्या में विवादित जमीन पर उनका हक है।

वे कहते हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा या हिन्दू महासभा किसी के पास विवादित जमीन के मालिकाना हक के कागजात नहीं हैं। ऐसे में मुगल वंश के वंशज और उत्तराधिकारी होने के नाते पूरी जमीन पर उनका मालिकाना हक बनता है।

बातचीत में हबीबुद्दीन पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अपने को पक्षकार बनाए जाने की मांग करते हुए कहते हैं कि उनके वकील पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील को खारिज नहीं किया उसने किसी तीसरे पक्ष को पक्षकार बनाए जाने का मना कर दिया था। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है, वे अब राष्ट्रपति को पत्र लिखकर खुद को पक्षकार बनाए जाने की मांग करेंगे।

हबीबुद्दीन कहते हैं कि कोर्ट से यह साबित हो चुका है कि वे ही मुगल वंश के वंशज हैं और टाइटल के मुताबिक वह आज भी बाबर की प्रॉपर्टी है इसलिए उनको जमीन पर अपने आप मालिकाना हक हो जाता है। वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट में कोई पक्ष यह साबित कर दे कि उसका टाइटल है तो वे अपना दावा छोड़ देंगे।

राम मंदिर के समर्थन के कारण जान को खतरा : हबीबुद्दीन कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर के समर्थन के कारण उनकी जान को खतरा है। वे कहते हैं कि चूंकि वे पूरे विवाद को खत्म करना चाहते हैं और इससे बहुत से लोगों की राजनीति और दुकानदारी खत्म हो जाएगी इसलिए उनको धमकी दी जा रही है।

बातचीत में वे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि उनको जानबूझकर सुरक्षा नहीं दी जा रही है जबकि खुद सरकार की इंटेलिजेंस रिपोर्ट में उनकी जान को खतरा बताया गया है। वे कहते हैं कि अगर उनको नुकसान पहुंचता है तो इसकी पूरे जिम्मेदारी तेलंगाना के मुख्यमंत्री की होगी। वे कहते हैं कि अपनी सुरक्षा को लेकर वे राष्ट्रपति और देश के गृहमंत्री से पूरे मामले की शिकायत कर चुके हैं। 
 
जमीन पर मुसलमानों का हक नहीं : हबीबुद्दीन तुसी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में तीनों पक्षकारों के पास विवादित जमीन को लेकर कोई टाइटल नहीं है। वे कहते हैं कि बाबर ने जो मस्जिद बनाई तो वह उनके वंश की निजी प्रॉपर्टी है, इस पर मुसलमानों का कोई हक नहीं है।
 
ऐसे में वक्फ बोर्ड बिना किसी कागजात के विवादित जमीन पर दावा कर रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट उनको भी पक्षकार बनाकर उनकी बात को भी सुने। बातचीत में वे कहते हैं कि 1529 में बाबर ने अपने सैनिकों के लिए मस्जिद बनाई थी, न कि मुसलमानों के लिए। जब मस्जिद मुसलमानों के लिए बनाई ही नहीं गई थी तो उस पर वक्फ बोर्ड किस आधार पर दावा कर रहा है।

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