मोदी के गढ़ गुजरात से राहुल गांधी की जाति जनगणना की हुंकार, OBC वोटर्स को साधने की कवायद

विकास सिंह

बुधवार, 9 अप्रैल 2025 (17:17 IST)
गुजरात में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल गांधी ने एक बार फिर जाति जनगणना को लेकर हुंकर भरी है। पार्टी अधिवेशन को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सरकार में आने पर कानून बनाकर जातिगत जनगणना कर कराएंगे। इसके साथ राहुल ने भाजपा और आरएसएस पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि संघ के दबाव में जाति जनगणना नहीं हो रही है। राहुल ने अपने भाषण में तेलंगाना का मॉडल का जिक्र करते हुए जाति जनगणना के साथ आरक्षण की सीमा बढ़ाने में तेलंगाना के मॉडल के अपनाया जाएगा।  

इसके साथ ही राहुल ने अपने भाषण में ओबीसी वोटर को जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि पार्टी से ओबीसी वोटर लगातार दूर होता जा रहा है। राहुल ने कहा दलित और ब्राहाम्ण वोटर को जोड़ने की कोशिश में पार्टी से ओबीसी वोटर दूर हो गया। अब राहुल गांधी जाति जनगणना के बहाने फिर ओबीसी वोटर को साधने की कोशिश में है, इसलिए वह 50 फीसदी आरक्षण की सीमा हटाने की बात कह रहे है।

जातिगत जनगणना के पीछे OBC वोटर- जातिगण जनगणना को लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार कांग्रेस के सरकार में आते ही जातिगत जनगणना कराने की बात कहते नजर आ रहे है। दरअसल देश की कुल आबादी में ओबीसी जातियों की संख्या 48 से 52 फीसदी हैं और इनका रूख ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सियासी पार्टियों की जीत हार तय करता है। 2014 के बाद भाजपा लगातार ओबीसी वोटरों में अपनी पैठ बनाने में कामयाब रही है।

अगर पिछले कुछ चुनावों के विश्लेषण किया जाएगा तो देश में 50 से 52 फीसदी वोट बैंक वाला ओबीसी वर्ग को वोट कांग्रेस को 10 से 15 फीसदी ही मिल पा रहा है, वहीं भाजपा को चुनावों में 40 फीसदी तक वोट बैंक मिला है। अगर देखा जाए तो 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से चुनाव दर चुनाव ओबीसी वोट बैंक भाजपा के साथ खड़ा नजर आया है। अगर ओबीसी वोटर्स की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को देश में 44 फीसदी ओबीसी वोट हासिल हुए थे वहीं कांग्रेस को 15 और अन्य क्षेत्रीय दलों को 27 फीसदी  वोट हासिल हुए थे।

ओबीसी वोटर्स के सहारे भाजपा किस तरह एक अजेय पार्टी बन गई इसको इससे समझा जा सकता है कि 2009 के आम चुनाव में भाजपा को 22 फीसदी ओबीसी वोट मिला था लेकिन 2019 के चुनाव इसका दोगुना यानी 44 फीसदी हो गया। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा को ओबीसी वोटर्स 2 फीसदी भाजपा से खिसका तो उसे उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां ओबीसी वोटर्स गेमचेंजर है, उसे दूसरे नंबर की पार्टी बनाना पड़ा।

गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा ने ओबीसी कैटेगरी में गरीब ओबीसी जातियों को अधिक साधने की कोशिश की है। भाजपा ने इन ओबीसी जातियों को साधने की कोशिश की जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की समर्थक रही हैं लेकिन अब यह पिछले कुछ चुनावों से लगातार भाजपा के साथ नजर आ रही है।

मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार,राजस्थान जैसे राज्यों में ओबीसी वोटर्स ही तय करते है कि सूबे में किसकी सरकार बनेगी। अगर इन चारों राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों के परिणामों का विश्लेषण करते तो साफ पता चलता है कि इन राज्यों में ओबीसी वोटर पूरी तरह भाजपा के साथ खड़ा है। लोकसभा चुनाव के बाद पिछले साल हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का बड़ा कारण भी उसको ओबीसी वोटरों का एकमुश्त साथ मिलना था। 

जातिगण जनगणना से बढ़ेगा आरक्षण का दायरा?-जातिगत जनगणना होने से देश में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा खत्म करने की  मांग और बढ़ेगी। यहीं कारण है कि राहुल गांधी जातिगण जनगणना की मांग को लेकर लगातर हमलावर है। विपक्षी दल जातिगण जनगणा की बात करके अन्य पिछड़ा वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिलने और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाने की वकालत कर रहे है। राहुल गांधी 2011 में हुई जनगणना के जातिगत आंकड़े जारी करने और 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने और  दलित और आदिवासी की उनकी आबादी के अनुसार आरक्षण देने की बात कह चुके है। ।
 

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