"कुछ नहीं बचता है!"
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 25, 2024
अजीत भाई के ये चार शब्द और उनके आसूं आज भारत के हर मेहनतकश गरीब और मध्यमवर्गीय की कहानी बयां कर रहे हैं।
नाई से लेकर मोची, कुम्हार से लेकर बढ़ई - घटती आमदनी और बढ़ती महंगाई ने हाथ से काम करने वालों से अपनी दुकान, अपना मकान और स्वाभिमान तक के अरमान छीन लिए… pic.twitter.com/1gYGdui2ll