उन्होंने कहा कि इससे गरीबों के लिए न सिर्फ सही नीतियां और योजनाएं बनाई जा सकेंगी बल्कि उन्हें पढ़ाई, कमाई और दवाई के संघर्ष से उबार कर विकास की मुख्यधारा से जोड़ा भी जा सकेगा।क्या हमने कभी सोचा है कि गरीब कौन हैं? कितने हैं और किस स्थिति में है? क्या इन सभी की गिनती ज़रूरी नहीं?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 9, 2024
बिहार में हुई जातिगत गिनती से पता चला कि गरीब आबादी के 88% लोग दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज से आते हैं।
बिहार से आए आंकड़े देश की असली तस्वीर की एक छोटी सी झलक… pic.twitter.com/RGZ1xgBN9U