Weather update : देश के कई राज्यों में बारिश, पाकिस्तान की टिडि्डयों से फसलों को नुकसान का खतरा

रविवार, 28 जून 2020 (00:47 IST)
नई दिल्ली। मानसून की शुरुआत में शनिवार को पश्चिमी तट के कुछ स्थानों को छोड़कर पूरे भारत में मध्यम से भारी वर्षा हुई, जबकि अप्रैल के अंत में पाकिस्तान से होकर देश में आने वाली टिडि्डयों से फसल के नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है। राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई क्षेत्रों में टिडि्डयों के हमले की खबर आई है, जबकि प्रशासनों ने कीटनाशकों का छिड़काव कर उन्हें भगाने या मारने की कोशिश शुरू कर दी है।

टिडि्डयों के दल के गुरुग्राम और दिल्ली के कुछ सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचने के बाद दिल्ली सरकार ने सभी जिलों को हाईअलर्ट पर रखते हुए जिलाधिकारियों से कहा कि वे दमकल विभाग से कीटनाशक के छिड़काव के लिए संपर्क करें ताकि फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले इन कीटों के संभावित हमले को रोका जा सके।

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली टिडि्डयों के दल के दिल्ली के बाहरी इलाके में प्रवेश के बीच केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि राजस्थान से और दलों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इन्हें रोकने के लिए चल रहे अभियान में तैनात किया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि टिडि्डयों का दल दिनभर उड़ता रहता है और शाम को अंधेरा होने के बाद ही रुकता है। जमीन पर उन्हें नियंत्रित करने के लिए दल लगातार उन पर नजर बनाए हुए हैं और जब एक बार वो रुक जाएंगी तो उन्हें काबू में करने के लिए बड़ा अभियान चलाया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश में नियंत्रण दलों को सतर्क कर दिया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उन्हें नियंत्रित करने के लिए अभियान चल रहा है।मंत्रालय ने एक बयान में कहा, राजस्थान से कुछ और नियंत्रण दलों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश में टिड्डी नियंत्रण कार्यों में मदद करने के लिए भेजा जा चुका है।

इसमें कहा गया कि झुंझुनू (राजस्थान) में 26 जून 2020 की सुबह टिड्डी दल देखा गया था और टिडि्डयों को खत्म करने के लिए नियंत्रण दलों को तैनात किया गया था। बचे हुए टिड्डे 26 जून की शाम को फिर इकट्ठा हुए और हरियाणा में रेवाड़ी पहुंच गए जहां कल से शनिवार सुबह तक उन्हें नियंत्रण करने का काम चल रहा था।

बयान में कहा गया बची हुई टिड्डियां फिर एकत्र होकर तीन समूहों में विभाजित हो गईं, जिनमें से एक गुरुग्राम की ओर चला गया, और वहां से फरीदाबाद और बाद में उत्तर प्रदेश की तरफ चला गया। मंत्रालय के मुताबिक, टिडि्डयों का एक और दल दिल्ली में द्वारका की तरफ बढ़ गया, वहां से दौलताबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद और यह झुंड उत्तर प्रदेश में भी प्रवेश कर गया। वहीं टिडि्डयों के तीसरे दल को पलवल (हरियाणा) में देखा गया और यह भी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ गया।

मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा और उप्र के राज्य कृषि विभागों, स्थानीय प्रशासनों और केंद्रीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अधिकारियों के दलों द्वारा टिडि्डयों के झुंडों के सभी समूहों पर नज़र रखी जा रही है और नियंत्रण कार्य जारी है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शनिवार को पड़ोसी राज्य हरियाण के गुरुग्राम में टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी के दक्षिण और पश्चिमी जिला प्रशासनों से अत्यधिक सतर्क रहने को कहा है। राय ने हालात को देखते हुए शनिवार को एक आपात बैठक बुलाई। बैठक में शामिल हुए अधिकारियों के अनुसार मंत्री को बताया गया कि टिडि्डयों का एक छोटा दल दक्षिण दिल्ली के असोला भट्टी इलाके में भी पहुंच गया है।

कृषि विभाग से दिल्ली में टिड्डी दल के हमले की आशंका को देखते हुए सभी जिला मजिस्ट्रेट और उप मंडलीय मजिस्ट्रेट को विस्तार से परामर्श जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि मई में देश में टिड्डी दलों ने पहले राजस्थान में हमला किया। इसके बाद इन्होंने पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में फसलों को नुकसान पहुंचाया।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में मुख्य रूप से टिडि्डयों की चार प्रजातियां पाई जाती हैं- रेगिस्तानी टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी और वृक्ष टिड्डी। इनमें से रेगिस्तानी टिड्डी को सबसे विनाशकारी माना जाता है। यह कीट तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है और एक दिन में 150 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है।

यह कीट अपने शरीर के वजन से अधिक खा सकता है। एक वर्ग किलोमीटर के टिडि्डयों के झुंड में लगभग चार करोड़ टिड्डियां हो सकती हैं और ये 35 हजार लोगों के बराबर का अन्न खा सकती हैं। विशेषज्ञ टिडि्डयों के इस बढ़ते खतरे की वजह जलवायु परिवर्तन को बताते हैं। उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले सहित विभिन्न जिलों में टिड्डी दलों का खतरा मंडरा रहा है।

कृषि विभाग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, 26 जून को सूचना मिली कि झांसी, चित्रकूट, प्रयागराज, प्रतापगढ़, भदोही, आजमगढ़ और अंबेडकरनगर जिलों के विभिन्न विकास खंडों में टिडि्डयों का झुंड उड़ रहा है। इन जिलों की कृषि विभाग की टीमें टिड्डी दलों पर निरंतर निगरानी रख रही हैं। टिडि्डयों के विश्राम लेते ही उनके नियंत्रण की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

इन जिलों के अलावा इनसे सटे हुए जिलों हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, मिर्जापुर, सुल्तानपुर, मऊ और बलिया जपनदों के अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।कृषिमंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शनिवार को बताया कि देवरिया में टिडि्डयों का एक झुंड आया था, लेकिन वह केवल बैसिला मैनुद्दीन गांव पहुंचा था। वहां के स्थानीय लोगों ने शोर मचाकर वहां से उन्हें भगा दिया।

झुंड देवरिया से चला गया, टिडि्डयों का दल जिन-जिन जनपदों में जा रहा है वहां रसायनों का छिड़काव कर उनका खात्मा किया जा रहा है। आसपास के गांवों को सावधान कर दिया गया है। रसायनों का छिड़काव अग्निशमन गाड़ियों की मदद से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों से कहा गया है कि टिड्डी दल को भगाने के लिए थाली बजाएं, पुलिस सायरन बजाएं और धुएं का इस्तेमाल करें।

शाही ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्‍येक जनपद में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति का गठन किया गया है, साथ ही प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पांच-पांच लाख रुपए रसायनों के छिड़काव के लिए उपलब्ध करा दिए गए हैं।

राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में टिडि्डयों का लगातार आक्रमण अधिकारियों के लिए चुनौती बन गया है।अधिकारी व उनका अमला इन पर नियंत्रण के लिए जुटा हुआ है। कृषि विभाग में उपनिदेशक बीआर कडवा ने बताया, पिछले लगभग डेढ़ महीने से पाकिस्तान से लगते हमारे सीमावर्ती जिलों में टिडि्डयों का लगातार हमला हो रहा है। उन पर काबू पाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है।उन्होंने कहा कि टिडि्डयों के पुराने दल तो खत्म हो गए लेकिन अब नए दल आ रहे हैं।

अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने इस समस्या पर काबू पाने व दवा छिड़कने के लिए हेलीकॉप्टर के इस्तेमाल की अनुमति केंद्र सरकार से मांगी है। फिलहाल टिडि्डयों की समस्या से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर है जिनकी सीमा पाकिस्तान से लगती है।

मानूसन की बारिश और रबी की फसलों की बुवाई को ध्यान में रखते हुए अधिकारी टिडि्डयों पर जल्द से जल्द काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं जो भारत व पाकिस्तान के बीच फैले रेगिस्तान में प्रजनन कर सकती हैं।

इस बीच, दक्षिण पश्चिम मानसून राजस्थान पहुंचने के बाद कमजोर पड़ता दिख रहा है और अगले तीन-चार दिन में राज्य में अधिक बारिश होने की उम्मीद नहीं है। मौसम विभाग के प्रवक्ता के अनुसार, मानूसन के कम दबाव के क्षेत्र के उत्तर की ओर स्थानांतरित होने के कारण अगले चार-पांच दिन राज्य के बीकानेर व जोधपुर संभाग में ज्यादा बारिश होने की संभावना नहीं है। हालांकि कहीं-कहीं हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।

वहीं पूर्वी राजस्थान में आगामी तीन दिन में कहीं-कहीं केवल हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। हालांकि इसके बाद 30 जून को मानसून फिर जोर पकड़ेगा और कोटा व उदयपुर में भारी बारिश का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि दक्षिण पश्चिम मानसून ने इस बार पूर्वानुमान से एक दिन पहले ही 24 जून को राज्य में दस्तक दी थी। वह तीन दिन में ही राज्य के सभी 33 जिलों को कवर कर गया, जबकि पूर्वानुमान यही था कि आठ जुलाई तक मानसून पूरे राज्य में फैलेगा।

इस बीच बीते चौबीस घंटे में राज्य के अनेक इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। सबसे अधिक बारिश करौली के मासलपुर में 58.0 मिमी. दर्ज की गई। बीकानेर में शनिवार का अधिकतम तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसके अलावा जैसलमेर में यह 41.4 डिग्री, गंगानगर में 41.0 डिग्री, बाड़मेर में 40.8 डिग्री व राजधानी जयपुर में 40.1 डिग्री सेल्सियस रहा।

राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को पारा 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया। दो दिन पहले ही शहर में मानसून ने दस्तक दी। सफदरजंग वेधशाला ने अधिकतम तापमान 39.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया, जो सामान्य से दो डिग्री अधिक है। आर्द्रता का स्तर 49 से 82 प्रतिशत के बीच रहा। पालम, नजफगढ़, आयानगर और पूसा स्थित मौसम स्टेशनों ने अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और 43 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया।

आईईएमडी ने रविवार को दिल्ली में आंशिक रूप से बादल छाए रहने और रात में हल्की बारिश की उम्मीद जताई है। अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। हरियाणा और पंजाब में शनिवार को अधिकतम तापमान में आंशिक वृद्धि हुई लेकिन यह सामान्य के आसपास ही दर्ज किया गया।

मौसम विभाग ने बताया कि पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में अधिकतम तापमान 37.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हरियाणा के नारनौल में अधिकतम तापमान 36.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कि सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम है। वहीं हिसार में अधिकतम तापमान 38.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कि सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस कम है।
करनाल में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि अंबाला में तापमान 38.4 डिग्री सेल्सियस रहा।,पंजाब के पटियाला में अधिकतम तापमान 38.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कि 
सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। वहीं लुधियाना में अधिकतम तापमान 37.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अमृतसर में अधिकतम तापमान 39.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।(भाषा)

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