Rajasthan Political Crisis : क्या कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हुए अशोक गहलोत? राजस्थान में चल रहे सियासी ड्रामे से खफा है हाईकमान
सोमवार, 26 सितम्बर 2022 (21:30 IST)
Rajasthan Political Crisis : जयपुर/नई दिल्ली। राजस्थान में कल रात से शुरू हुआ कांग्रेस के अंतर्कलह का ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। गहलोत गुट के विधायकों की बगावत अब खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भारी पड़ती नजर आ रही है। मीडिया में खबरें हैं कि सोनिया गांधी इस ड्रामे के बाद अशोक गहलोत से नाराज हैं। खबरें हैं कि अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर कर दिया गया है, जबकि उनकी जगह कई अन्य नामों को रेस में शामिल किया गया है।
इनमें केसी वेणुगोपाल का नाम प्रमुख हैं। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के नाम भी चल रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष पद में उनकी कोई रुचि नहीं है।
इस बीच कांग्रेस की राजस्थान इकाई में चल रहे संकट को दूर करने के उद्देश्य से पार्टी नेतृत्व ने सोमवार को प्रयास तेज कर दिए और इसी क्रम में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दोनों पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से लिखित रिपोर्ट तलब की तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ गहन मंत्रणा की।
जयपुर में विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों के वस्तुत: बागी रुख अपनाने के बाद खड़गे और माकन सोमवार को दिल्ली लौटे तथा 10 जनपथ पहुंचकर सोनिया गांधी से मुलाकात की।
सोनिया गांधी के साथ डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली मुलाकात के बाद माकन ने कहा कि जयपुर में रविवार शाम विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति से बुलाई गई थी।
माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैंने और खड़गे जी ने राजस्थान के घटनाक्रमों के बारे में सोनिया जी को विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की कल शाम जो बैठक हुई थी वो उनके (मुख्यमंत्री) कहने पर और उनकी सहमति के आधार पर और उनके बताए स्थान पर रखी गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष का निर्देश था कि हर विधायक की अलग अलग राय जानकर रिपोर्ट दी जाए। सबसे बात करके फैसला होता।
माकन के अनुसार कि कुछ विधायकों (गहलोत समर्थक) के नुमाइंदे हमारे पास आए और तीन शर्तें रखी गईं। एक शर्त यह रखी गई कि जो भी प्रस्ताव हो उस पर फैसला 19 अक्टूबर के बाद किया जाएगा। हमने कहा कि ऐसे कैसे संभव है? जो प्रस्ताव ला रहे हैं कि सारे अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को दिए जाएं, वह (गहलोत) चुनाव लड़ना चाहते हैं और यदि 19 अक्टूबर को चुनाव जीत जाते हैं तो क्या वह खुद फैसला करेंगे? यह हितों का टकराव नहीं है तो और क्या है।
उन्होंने कहा कि एक शर्त में यह भी कहा गया कि विधायकों से अलग-अलग नहीं, समूह में मिला जाए। हमने कहा कि कांग्रेस में विधायकों से एक-एक करके बात होती है ताकि विधायक खुलकर और निष्पक्ष ढंग से अपनी बात कर सकें।
कांग्रेस महासचिव के मुताबिक यह भी कहा गया कि अशोक गहलोत जी के वफादार 102 विधायकों में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाया जाए। हमने कहा कि आप लोगों की बातों को कांग्रेस अध्यक्ष के सामने रखा जाएगा और प्रस्ताव के साथ कभी शर्तें नहीं लगाई जाती हैं, सब वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा करके फैसला होता है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि बैठक नहीं हो पाई।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस विधायक दल की औपचारिक बैठक की जाती है तो उसके समानांतर कोई भी बैठक बुलाई जाती है तो वह प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता है। यह बात हमने कांग्रेस अध्यक्ष के समक्ष रखी है। कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल भी बैठक में मौजूद थे।
इन नेताओं के साथ मुलाकात के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की। माना जाता है कि गहलोत से कमलनाथ के अच्छे रिश्ते हैं। सूत्रों के अनुसार कमलनाथ से संकट सुलझाने में भूमिका अदा करने के लिए कहा गया है।