गुरुग्राम। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि देश में नक्सलवाद की गंभीर चुनौती अब खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है और माओवादी सुरक्षाबलों के खिलाफ कायराना हमलों का सहारा ले रहे हैं, क्योंकि वे सीधे-सीधे मुकाबला करने में सक्षम नहीं रहे हैं।
देश में नक्सल विरोधी अभियानों का नेतृत्व करने वाले बल सीआरपीएफ के 79वें स्थापना दिवस पर इसके जवानों को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इन बलों के नक्सलियों के खिलाफ अभियानों के चलते हाल के दिनों में माओवादियों की घटनाओं में जबरदस्त कमी आई है और नक्सलियों के हताहत होने की संख्या में इजाफा हुआ है।
बल के अधिकारियों एवं जवानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हतोत्साहित नक्सली अब सुरक्षाबलों के साथ आमने-सामने की लड़ाई लड़ने में सक्षम नहीं रहे और इसलिए अपनी सीमित क्षमताओं के साथ वे घात लगाकर और कायराना हमलों का सहारा ले रहे हैं।
अपने भाषण के दौरान मंत्री ने इस महीने के शुरू में छत्तीसगढ़ के सुकमा में शहीद हुए बल के 9 जवानों को श्रद्धांजलि दी। जवानों की माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल नक्सलियों के बिछाए बारूदी सुरंग की चपेट में आ गई थी, जिसमें विस्फोट होने से ये जवान शहीद हो गए।
उन्होंने कहा कि माओवाद अब गंभीर चुनौती बन गया है, लेकिन इन बहादुर जवानों और सीआरपीएफ एवं अन्य बलों की दृढ़ कार्रवाई के चलते इन घटनाओं में अब जबरदस्त कमी आई है। यहां कादरपुर में सीआरपीएफ के ऑफिसर्स एकेडमी के परेड मैदान में उन्होंने कहा कि इससे पहले सुरक्षाबलों एवं नागरिकों के बीच हताहतों की संख्या अधिक होती थी, लेकिन अब यह उलटा हो गया है और माओवादियों के हताहत होने की दर बढ़ी है।
देश के आंतरिक सुरक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष अधिकारी ने नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण कार्य के दौरान सीआरपीएफ जवानों की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि मैं कह सकता हूं कि देश में नक्सलवाद की समस्या अपने आखिरी चरण में पहुंच चुकी है और लोग अच्छी तरह यह समझते हैं कि नक्सली गरीब, आदिवासी और विकास विरोधी हैं।
उन्होंने सीआरपीएफ जवानों से कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में चरमपंथ जैसे विभिन्न खतरों में बहुआयामी भूमिकाएं निभाते रहने के लिए कहा। सिंह ने कहा कि आपने इन गतिविधियों को हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है। गृहमंत्री ने देश के सबसे बड़े अर्द्धसैन्य बलों के जवानों की बहादुरी की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के पुरुष एवं महिला जवान कश्मीर घाटी में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के दौरान अपना धैर्य नहीं खोते हैं। उन्होंने सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता के साहस की भी प्रशंसा की, जो परेड का हिस्सा थे। पिछले साल कश्मीर घाटी में अभियान के दौरान चीता को 9 गोलियां लगी थीं और स्वास्थ्य लाभ के दौरान उन्होंने दुर्लभ धैर्य का परिचय दिया तथा वे कुछ दिनों बाद ही दिल्ली में सीआरपीएफ मुख्यालय में ड्यूटी पर लौट आए।
सिंह ने कहा कि सीआरपीएफ जैसे सुरक्षाबलों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भारत के आर्थिक महाशक्ति बनने की राह में कोई बाधा न आए। उन्होंने जवानों के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने के बारे में कहा कि भविष्य में और अधिक आवासीय सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। (भाषा)