साथ ही गवर्नर ने निवेशकों को आगाह करते हुए कहा कि ऐसी संपत्तियों में कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है, यहां तक कि एक ट्यूलिप के बराबर भी नहीं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पहले भी ऐसी संपत्तियों पर अपनी चिंता जता चुका है। लेकिन इस बार यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में आम बजट में ऐसी संपत्तियों पर हुए लाभ पर 30 प्रतिशत कर लगाने की बात कही गई है।
क्रिप्टो हितधारकों ने इस कदम का स्वागत किया था, क्योंकि इससे उनके व्यापार को वैधता मिलती है। दास ने कहा, निजी क्रिप्टो करेंसी या आप इसे जिस नाम से पुकारते हैं, यह हमारी वृहत आर्थिक स्थिरता और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है। वे वित्तीय स्थिरता और व्यापक आर्थिक स्थिरता से जुड़े मुद्दों से निपटने की आरबीआई की क्षमता को कमजोर करेंगे।
उन्होंने कहा कि निवेशकों को सावधान करना उनका कर्तव्य है, और उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं। दास ने आगे कहा, उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी में कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है, यहां तक कि एक ट्यूलिप के बराबर भी नहीं।
गौरतलब है कि 17वीं शताब्दी के ट्यूलिप उन्माद को अक्सर असामान्य रूप से वित्तीय तेजी के एक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाता है, जहां किसी चीज की कीमत सट्टेबाजी के कारण बहुत बढ़ जाती है, न कि अंतर्निहित मूल्य के कारण।(भाषा)