दूरसंचार कंपनियों में घमासान, JIO उपभोक्ता भी मैदान में उतरे
गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019 (16:24 IST)
नई दिल्ली। इंटरकनेक्ट यू एजेंसी चार्ज अर्थात IUC को लेकर दूरसंचार कंपनियों के बीच मचे घमासान में अब उपभोक्ता भी कूद पड़े हैं। इसे ग्राहकों पर बोझ बताते हुए भारतीय दूरसंचार नियामक संस्था (ट्राई) से इसके शीघ्र समाधान की मांग की है।
मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने आईसीयू मुद्दे पर ट्राई के ढुलमुल रुख का हवाला देते हुए बुधवार को दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए 6 पैसे प्रति मिनट का चार्ज लगाने का ऐलान किया है। कंपनी की इस घोषणा के बाद जियो के ग्राहक अपने ऊपर पड़ने वाले भार को देखते हुए कंपनी के समर्थन में उतर आए और ट्राई से जल्द से जल्द इसका समाधान निकालने की मांग की है।
जियो के उपभोक्ताओं ने अपनी मांग ट्राई तक पहुंचाने के लिए ऑनलाइन याचिका का रास्ता अपनाया है। खबर लिखे जाने तक करीब 10 हजार जियो उपभोक्ता इसके समर्थन में आ चुके हैं। अपनी बात संबंधित संस्था तक पहुंचाने के लिए ऑनलाइन याचिका का प्रचलन प्रभावी ढंग से किया जाता है। आईसीयू पर विवाद की शुरुआत ट्राई के एक परामर्श पेपर से शुरू हुई बताई जाती है।
गौरतलब है कि ट्राई 2011 से ही आईसीयू को खत्म करने की वकालत करता रहा, लेकिन जब इसका समय 31 दिसंबर 2019 नजदीक आया तो परामर्श पेपर जारी कर इस बंद हो चुके अध्याय को एक बार फिर से खोल दिया। नियामक अनिश्चितताओं के बीच रिलायंस जियो का मानना है कि वह आईसीयू से सबसे अधिक प्रभावित होने वाली कंपनी है।
आईसीयू के फ्री हो जाने से ग्राहकों के लिए इनकमिंग और आउटगोइंग कॉलिंग के लिए फ्री हो जाना। रिलायंस जियो का कहना है कि वह फ्री कॉलिंग की सुविधा देती रही है, लेकिन इसके लिए उसे भारी कीमत चुकानी पड़ती है। आईसीयू की व्यवस्था पुरानी हो चुकी है और विश्व की ज्यादातर टेलीकॉम मार्केट जीरो आईसीयू को फॉलो करती हैं।
दरअसल एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का निम्न आय वर्ग के ग्राहकों के लिए जो टैरिफ प्लान है, उसमें कॉलिंग दरें इंडस्ट्री में सबसे अधिक बताई जा रही हैं। कुछ मामलों में तो यह डेढ़ रुपए प्रति मिनट से भी ज्यादा हैं। इनमें कंपनियों के ऐसे बड़ी संख्या में ग्राहक 2जी नेटवर्क से जुड़े हुए हैं जो मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर कॉलिंग के लिए ही करते हैं क्योंकि डेटा की कीमतें भी इन निम्न आय वर्ग के ग्राहकों के लिए 500 रुपए जीबी से अधिक है।
रिलायंस जियो का कहना है कि दोनों कंपनियों के 2जी ग्राहक पैसा बचाने के लिए जियो के ग्राहकों को मिस्ड कॉल देते हैं और जब जियो का ग्राहक अन्य ऑपरेटर के उपभोक्ता को फोन करता है तो जियो को 6 पैसे प्रति मिनट चुकाने पड़ते हैं। जियो का दावा है कि कंपनी पर 3 वर्षों में इस मद में साढ़े 13 हजार करोड़ रुपए का बोझ आ चुका है। रिलायंस जियो का कहना है कि यदि आईसीयू को ट्राई खत्म कर दे तो वह पहले की तरह सभी तरह की कॉलिंग फ्री कर देगी।