पुणे स्थित आरटीआई कार्यकर्ता विहार धुर्वे के आवेदन के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि 2008-09 में इस पारदर्शिता कानून को प्रोत्साहित करने के अभियान में विज्ञापन एवं प्रचार मद में 7.30 करोड़ रुपया खर्च किया गया था। 2009-10 में इस उद्देश्य के लिए 10.31 करोड़ रुपए और 2010-11 में 6.66 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।