मोदी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण कानून पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का ब्रेक?

विकास सिंह

सोमवार, 2 दिसंबर 2024 (13:21 IST)
देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की चर्चा के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत का जनसंख्या को लेकर दिए बयान पर सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए जनसंख्या नियंत्रण नीति बनाने की ओर इशारा कर रहे थे ऐसे में क्या जनसंख्या को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तीन बच्चों की बात कह कर मोदी सरकार के जनसंख्या नियंत्रण कानून पर ब्रेक लगा दिया है।

क्या कहा संघ प्रमुख मोहन भागवत ने?-संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत की जनसंख्या को लेकर अपनी बात रखते हुए जनसंख्या की गिरावट को समाज के लिए चिंताजनक बताया। मोहन भागवत ने कहा कि यदि जनसंख्या बढ़ोतरी दर 2.1 से कम हो जाए तो समाज का पतन होना तय है और उसे नष्ट करने के लिए किसी बाहरी शक्ति की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने जनसंख्या वृद्धि के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मनुष्य के जन्म दर को 1 नहीं रखा जा सकता इसलिए कम से कम 2 या 3 बच्चों का जन्म होना चाहिए, जनसंख्या वृद्धि दर को सही बनाए रखना देश के भविष्य के लिए जरूरी है।

कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या का विज्ञान बताते हुए कहा कि विज्ञान यह मानता है कि यदि जनसंख्या बढ़ोतरी दर 2.1 से नीचे गिरती है तो वह समाज अपने आप समाप्त हो जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई भाषाएं और समाज इसी कारण समाप्त हो गए। उन्होंने कहा कि साल 1998-2000 के आस-पास भारत की जनसंख्या नीति तय की गई थी जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि देश की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 होनी चाहिए।

जनसंख्या नीति से संघ का यूटर्न- संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान का यह बयान क्या देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून से संघ के पहले दिए गए अपने समर्थन का यूटर्न है, अब यह सवाल उठने लगा है। इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ में नंबर-2 के नेता सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले देश में सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बनाने की बात कह चुके थे। साल 2022 में आरएसएस के स्थापना दिवस कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत ने जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत में जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने जो सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिले। उन्होंने कहा कि ऐसी जनसंख्या पॉलिसी बनानी चाहिए जो सभी पर बराबरी से लागू हो। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने देश में जनसंख्या विस्फोट को चिंताजनक बताया था। उन्होंने सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बनाने की बात कही थी।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने क्यों लिया यू-टर्न?- संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान भारत में घटती प्रजनज दर की ओर इशारा करता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS) के आंकड़े बताते है कि देश में हर दशक में जनसंख्या बढ़ने की दर कम हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार प्रजनन दर में भी कमी आ रही है और सभी धर्म के लोगों के बीच ऐसा हो रहा है।

एनएफएचएस 5 के आँकड़ों के मुताबिक़ भारत में राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर 2.1 से कम हो गई है, जो प्रतिस्थापन स्तर (रिप्लेसमेंट रेशियो) से कम हो गई है। रिप्लेसमेंट रेशियो 2.1 का मतलब है, दो बच्चे पैदा करने से पीढ़ी दर पीढ़ी वंश चलता रहेगा। रिप्लेसमेंट रेशियो का 2 से नीचे जाना, आगे चल कर चिंता का सबब भी बन सकता है। एक्सपर्ट कहते हैं कि केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि रिप्लेसमेंट रेशियो 2.1 के आसपास ही बना रहे। रिप्लेसमेंट रेशियो में 2.1 में, प्वाइंट वन इसलिए है क्योंकि कभी कभी कुछ नवजातों की मौत छोटी उम्र में हो जाती है।

जनसंख्या पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?- पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की पॉलिसी और प्रोग्राम हेड संघमित्रा सिंह वेबदुनिया से बातचीत में कहती है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल फैमिली हेल्थ का सर्वे बताता है कि देश में राष्ट्रीय स्तर पर फर्टिलिटी रेट 2 है। वह कहती है कि देश में काफी लंबे अरसे से सियासी दल जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की मांग करते आए लेकिन देश को न तो आज जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है और न पहले थी।

संघमित्रा सिंह कहती है कि भारत में हमेशा से फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम स्वैच्छिक रहा है। जिसमें यह माना गया है कि अगर आप लोगों के स्वास्थ्य में,उनकी शिक्षा में, नौकरी में और महिलाओं की सशक्तिकरण की तरफ ध्यान देंगे तो जनसंख्या के नंबर अपने आप नीचे आएंगे। और दुनिया के हर देश में यही देखा गया है। ऐसे में ऐसे कानून की जरुरत नहीं है। वह कहती है कि ऐसे में अब आगे सरकार को ऐसे प्रोग्राम लाने की जरुरत है जो पिछड़े हुए राज्यों जहां इन्वेस्टमेंट की ज्यादा जरुरत है उसको केंद्र में रखकर प्रोग्राम बनाए। भारत एक बहुत ही विविधिता वाला देश है और हर राज्य और जिले में जमीनी स्तर पर बहुत अंतर है ऐसे में अगर फैमिली प्लानिंग या अन्य कोई प्रोग्राम वहां सफल बनाना है तो वहां की जरुरतों पर फोकस कर प्रोग्राम बनाया जाए और उसको लागू किया जाए।   

जनसंख्या नियंत्रण नीति के समर्थन में मोदी सरकार?- संघ प्रमुख मोहन भागवत जहां एक और तीन बच्चों की बात कर रहे है वहीं प्रघानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की बढ़ती जनसंख्या पर लगातार चिंतां जता रहे है। लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त 2019 के दिए अपने भाषण में देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, ये आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने आबादी नियंत्रण के लिए छोटे परिवार पर जोर दिया।

वहीं भाजपा  शासित राज्य असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा दो बच्चों की नीति बनाने का एलान कर चुके है। वहीं भाजपा  शासित अन्य राज्य उत्तर प्रदेश  और मध्य प्रदेश में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग हो चुकी है।
 

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