वर्ष 2009 की फिल्म 'फिराक' में निर्देशन करने के बाद दूसरी बार किसी फिल्म का निर्देशन कर रहीं नंदिता ने कहा कि यह फिल्म परंपरागत बायोपिक नहीं है, क्योंकि उन्होंने मंटो के 'काफी दिलचस्प' व्यक्तित्व के अलग-अलग पहलुओं के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है।
नंदिता ने रविवार को यहां 'टाइम्स लिटफेस्ट' में कहा कि निश्चित तौर पर यह मेरी जिंदगी के सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। जब मैंने 'फिराक' की थी तो मैंने सोचा था कि यह काफी चुनौतीपूर्ण है। तब मेरा एक बच्चा था और मैंने सोचा कि ठीक है... लोग गर्भधारण के बारे में ज्यादा नहीं बताते। लेकिन खुशियां और चुनौतियां हमेशा एकसाथ आती हैं... इसलिए 'मंटो' इस विचार से मेरा तीसरा बच्चा है और दूसरी फिल्म है।