संतों ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का समर्थन करते हुए कहा कि जब गुजरात के सोमनाथ मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' का आयोजन हुआ था, तो मंदिर पूरा नहीं बना था और इस बात पर जोर दिया कि अयोध्या में यह समारोह शास्त्रों के अनुरूप है। सरयू आरती के शशिकांत दास ने एक बयान में कहा कि अयोध्या में यह शुभ अवसर 500 वर्षों के इंतजार और संघर्ष के बाद आया है और ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे इस अवसर की भव्यता कम हो।
उन्होंने कहा कि इसे संभव बनाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर पूरे देश में प्रसन्नता का माहौल होगा। श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के महंत नारायण गिरि ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह बड़े सौभाग्य का अवसर है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग इस पर मुद्दा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के 14 साल बाद सोमनाथ मंदिर में पवित्र 'कलश' और 'ध्वजा' स्थापित की गई थी, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भाग लिया था।
उन्होंने कहा कि अयोध्या मंदिर का गर्भगृह तैयार है और इसकी पहली मंजिल भी तैयार है। उन्होंने कहा कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो गर्व से एक सनातनी की तरह रहते हैं। चार में से कम से कम दो 'शंकराचार्यों' ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की आलोचना की है और दावा किया है कि जब मंदिर अभी भी निर्माणाधीन है तो ऐसा करना गलत है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour