4. श्रीराम से जुड़े 200 से ज्यादा स्थान खोज लिए गए : जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की। इन स्थानों में से प्रमुख के नाम है- सरयू और तमसा नदी के पास के स्थान, प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर तीर्थ, सिंगरौर में गंगा पार कुरई गांव, प्रायागराज, चित्रकूट (मप्र), सतना (मप्र), दंडकारण्य के कई स्थान, पंचवटी नासिक, सर्वतीर्थ, पर्णशाला, तुंगभद्रा, शबरी का आश्रम, ऋष्यमूक पर्वत, कोडीकरई, रामेश्वरम, धनुषकोडी, रामसेतु और नुवारा एलिया पर्वत श्रृंखला।
9. अयोध्या का इतिहास और राजा : लुजियान यूनिवर्सिटी अमेरिका के प्रो. सुभाष काक ने अपनी पुस्तक 'द एस्ट्रोनॉमिकल कोड ऑफ ऋग्वेद' में श्रीराम के उन 63 पूर्वजों का वर्णन किया है जिन्होंने अयोध्या पर राज किया था। रामजी के पूर्वजों का वर्णन उन्होंने क्रमश: इस प्रकार किया- मनु, इक्ष्वाकु, विकुक्शी (शषाद), ककुत्स्थ, विश्वरास्व, आर्द्र, युवनाष्व (प्रथम), श्रावस्त, वृहदष्व, दृधावष्व, प्रमोद, हर्यष्व (प्रथम), निकुंभ, संहताष्व, अकृषाश्व, प्रसेनजित, युवनाष्व (द्वितीय), मांधातृ, पुरुकुत्स, त्रसदस्यु, संभूत, अनरण्य, त्राशदष्व, हर्यष्व (द्वितीय), वसुमाता, तृधन्व, त्रैयारूण, त्रिशंकु, सत्यव्रत, हरिश्चंद्र, रोहित, हरित (केनकु), विजय, रूरुक, वृक, बाहु, सगर, असमंजस, दिलीप (प्रथम), भगीरथ, श्रुत, नभाग, अंबरीष, सिंधुद्वीप, अयुतायुस, ऋतपर्ण, सर्वकाम, सुदास, मित्राशा, अष्मक, मूलक, सतरथ, अदिविद, विश्वसह (प्रथम), दिलीप (द्वितीय), दीर्घबाहु, रघु, अज, दशरथ और राम। राम के बाद कुश का कुल चला। कुश से अतिथि, निषाध, नल, नभस, पुंडरीक, क्षेमधन्व, देवानीक, अहीनगु, परिपात्र, बाला, उकथ, वज्रनाभ, षंखन, व्युशिताष्व, विश्वसह (द्वितीय), हिरण्यनाभ, पुश्य, ध्रुवसंधि, सुदर्शन, अग्निवर्ण, शीघ्र, मरू, प्रसुश्रुत, सुसंधि, अमर्श, महाष्वत, विश्रुतवंत, बृहदबाला, बृहतक्शय और इस तरह आगे चलकर कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत में कौरवों की ओर से लड़े थे।