Sam Pitroda news in hindi : बेंगलुरु के एक भाजपा नेता द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा कि उनके पास भारत में कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।
पित्रोदा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि हाल ही में भारतीय मीडिया में, टेलीविजन और प्रिंट दोनों पर आई खबरों के मद्देनजर, मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं-मेरे पास भारत में कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।
अमेरिका ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने कहा कि भारत सरकार के साथ काम करने के दौरान (चाहे 1980 के दशक में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ या 2004 से 2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह के साथ) मैंने कभी कोई वेतन नहीं लिया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मैं स्पष्ट रूप से यह बात रिकॉर्ड में रखना चाहता हूं कि मैंने अपने पूरे जीवन में (83 साल में) भारत में या किसी अन्य देश में कभी भी कोई रिश्वत नहीं दी या स्वीकार नहीं की। यह पूर्ण सत्य है।
Statement for the Record
In light of recent reports in the Indian media, both on television and in print, I wish to categorically state the following:
I do not own any land, home, or stocks in India. Additionally, during my tenure working with the Government of India—whether… pic.twitter.com/TVDih7i1JG
क्या है भाजपा नेता का आरोप : भाजपा नेता एन आर रमेश ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के अधिकारियों सहित 5 वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की मदद से सैम पित्रोदा ने बेंगलुरु के येलहंका में 150 करोड़ रुपए का 12.35 एकड़ सरकारी भूखंड अवैध रूप से हासिल किया। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के पूर्व पार्षद रमेश ने प्रवर्तन निदेशालय और कर्नाटक लोकायुक्त से शिकायत की है।
कौन है सैम पित्रोदा : सैम पित्रोदा का असली नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है। 4 मई 1942 को सैम का जन्म ओडिशा के एक गुजराती परिवार में हुआ था। सैम के पिता बढ़ई का काम करते थे। चूंकि उनके पिता चाहते थे कि वे गुजराती सीखें, अत: उनकी शुरुआती शिक्षा गुजरात में हुई। फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में उन्होंने महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल की। अमेरिका की इलिनॉइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से भी शिक्षा प्राप्त की।
भारत में सूचना क्रांति के जनक : सैम को भारत में सूचना क्रांति का जनक कहा जाता है। माना जाता है कि जब मोबाइल फोन लाने का विचार किया जा रहा था तो उसके पीछे सैम का ही हाथ था। साल 2005 से 2009 तक पित्रोदा भारतीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन चेयरमैन रह चुके हैं। 1984 में उन्होंने दूरसंचार के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट यानी 'सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलिमैटिक्स' की स्थापना की थी। उनकी क्षमता से प्रभावित होकर राजीव गांधी ने उन्हें घरेलू और विदेशी दूरसंचार नीति को दिशा देने का काम दिया। सैम यूपीए सरकार के समय प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के के जन सूचना संरचना और नवप्रवर्तन सलाहकार रह चुके हैं।
इस तरह सत्यनारायण से सैम हुए : पढ़ाई खत्म करने के बाद सैम ने टेलीविज़न ट्यूनर बनाने वाली कंपनी ओक इलेक्ट्रिक में काम करना शुरू कर दिया। तब तक उनका नाम सत्यनारायण पित्रोदा हुआ करता था। जब उनको अपने वेतन का चेक मिला तो उसमें उनका नाम सैम लिखा हुआ था। जब उन्होंने इस संबंध में शिकायत की तो वेतन का काम देखने वाली महिला ने कहा कि तुम्हारा नाम बहुत लंबा है, इसलिए मैंने बदल दिया। और, इस तरह सत्यनारायण सैम पित्रोदा हो गए।