शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक स्तंभ रोखठोक में राउत ने भाजपा पर पांच राज्यों में जहां (नवंबर में) विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां आधार खोने के बाद मतदाताओं को रिश्वत देने के लिए धार्मिक प्रचार का सहारा लेने का भी आरोप लगाया।
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य ने आरोप लगाया कि अगर ऐसा बयान किसी कांग्रेस नेता ने दिया होता तो प्रवर्तन निदेशालय की तरह निर्वाचन आयोग भी वारंट के साथ दरवाजे पर खड़ा होता। राउत ने कहा कि मतदाताओं को रिश्वत देकर वोट हासिल करना चौंकाने वाला है और निर्वाचन आयोग ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं, जो लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। अयोध्या में राम मंदिर में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है।
राउत ने कहा, (पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त) टीएन शेषन ने अपने कार्यकाल के दौरान दिखाया कि निर्वाचन आयोग को दहाड़ना भी नहीं है, उसे बस अपनी पूंछ हिलानी है और इससे सभी राजनीतिक दलों में डर पैदा हो जाएगा। निर्वाचन आयोग एक दिखावा बन गया है।
राउत ने आरोप लगाया, जो कुछ भी हुआ (पांच राज्यों, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव प्रचार के दौरान) ने साबित कर दिया है कि निर्वाचन आयोग पिंजरे में बंद तोता बन गया है। राउत ने बताया कि जब 1987 के विले पार्ले उपचुनाव में शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे ने हिंदुत्व के मुद्दे पर पार्टी उम्मीदवार रमेश प्रभु के लिए वोट मांगा, तो उनका मतदान का अधिकार छह साल के लिए रद्द कर दिया गया था।
उपचुनाव जीतने वाले शिवसेना के विधायक सूर्यकांत महादिक, रमाकांत मयकर और प्रभु को अयोग्य ठहरा दिया गया था। राउत ने आरोप लगाया, उन्होंने (भाजपा ने) निर्वाचन आयोग और अन्य संवैधानिक निकायों को साध लिया और हिंदुत्व की लड़ाई लड़ी।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने गुरुवार को शाह के राम मंदिर दौरे के वादे पर निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा और व्यंग्यात्मक ढंग से पूछा कि क्या आयोग ने आदर्श आचार संहिता में ढील दी है। पत्र में शिवसेना (यूबीटी) ने आयोग पर भाजपा के पक्ष में दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour