कभी दूध से नहाता था, अब पूरी उम्र जेल में काटनी होगी, पढ़ें रामपाल की पूरी जानकारी...

Webdunia
मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018 (12:20 IST)
हरियाणा के सतलोक आश्रम के मुखिया रामपाल को हिसार की अदालत ने हत्या और लोगों को बंधक बनाने के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। कभी आश्रम में दूध से नहाने वाला रामपाल अब मरते दम तक जेल में रहेगा। रामपाल के लाखों समर्थक हैं और इस समय हिसार की जेल में बंद है।
 
जानिए रामपाल के संत बनने की कहानी और क्या है पूरा विवाद...
 
रामपाल से कैसे बना संत रामपाल : सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में रामपाल दास का जन्म हुआ था। पढ़ाई पूरी करने के बाद रामपाल ने हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी की। नौकरी के दौरान रामपाल की मुलाकात 107 साल के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज हुई। रामपाल रामदेवानंद का शिष्य बन गया।
 
21 मई 1995 को रामपाल ने 18 साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सत्संग करने लगा। रामपाल के अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई। कमला देवी नाम की एक महिला ने करोंथा गांव में बाबा रामपाल दास महाराज को आश्रम के लिए जमीन दे दी। 1999 में बंदी छोड़ ट्रस्ट की सहायता से रामपाल ने सतलोक आश्रम की नींव रखी।
 
दूध से नहाता था बाबा : रामपाल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आश्रम की सघन तलाशी ली थी और उस दौरान कई सनसनीखेज खुलासे हुए थे। उस समय पता चला था कि बाबा दूध से नहाता था और उस दूध से बनी खीर का प्रसाद भक्तों में बांटा जाता था। ऑपरेशन के दौरान आश्रम में गुप्‍त ठिकानों के अलावा स्विमिंग पूल और टॉयलेट्स में सीसीटीवी भी लगे मिले थे। रामपाल ने सुरंग और खास लिफ्ट बनवा रखी है। इसी लिफ्ट से वह भक्तों के बीच प्रकट होता था। रामपाल के कमरे से 5 लाख रुपए का मसाजर मिला था। कंडोम के साथ ही अश्‍लील साहित्‍य भी बरामद किया गया था। 

बड़ी खबर, सतलोक आश्रम के विवादित संत रामपाल को आजीवन कारावास
 
आर्य समाज के समर्थकों से झड़प : कुछ वर्ष तक सब सामान्य रहा, लेकिन फिर करौंथा और साथ लगते गांवों के लोगों खासकर आर्यसमाजियों ने रामपाल के प्रवचनों पर आपत्ति जताना शुरू कर दी। 2006 में स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर संत रामपाल ने विवादित टिप्पणी की। आर्य समाज इस टिप्पणी से नाराज हो गया। फिर आर्य समाज के समर्थकों और रामपाल समर्थकों में हिंसक झड़प हुई।
 
इसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए। 12 जुलाई, 2006 को रामपाल के अनुयायियों और आर्यसमाजियों में खूनी टकराव हो गया। इसके बाद पुलिस ने आश्रम को कब्जे में ले लिया। इस मामले में रामपाल और उनके कई समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
 
2009 में संत रामपाल को आश्रम वापस मिल गया। आर्य समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। 12 मई 2013 को नाराज आर्य समाजियों और संत रामपाल के समर्थकों में एक बार फिर झड़प हुई। इसमें भी कई लोग घायल हो गए थे।
 
इस तरह हुई गिरफ्तारी : 14 नवंबर 2014 को जब हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एक मामले में रामपाल कोर्ट में पेश नहीं हुआ तो हाईकोर्ट ने रामपाल को पेश करने के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए पुलिस-प्रशासन ने सतलोक आश्रम से रामपाल को निकालने के लिए ऑपरेशन चलाया। इस दौरान रामपाल के अनुयायियों और पुलिस में झड़प हुई। इस हिंसा में चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई थी। हिसार के बरवाला में दो दिन तक चले ऑपरेशन के बाद रामपाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

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