आपका 12-साल का भाई सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव है। आपका 15-साल का चचेरा भाई, जिसने अभी इंस्टाग्राम ज्वाइन किया, सोशल साइट्स पर बहुत पॉपुलर है। उसके फॉलोअर्स की संख्या आपके फॉलोअर्स से कहीं अधिक है।
नई जनरेशन के लोग, सोशल मीडिया को पूरी तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं और इसका भरपूर आनंद ले रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि ये लोग इसके बिना रह ही नहीं सकते, परंतु क्या हो अगर आपको पता चले कि ऐसे बच्चों का स्कूल में एडमिशन नहीं होगा जिनके फेसबुक पर अकाउंट हैं।
चेन्नई के एक स्कूल, श्रीमथि सुंदरवल्ली मेमोरियल स्कूल, में सोशल मीडिया अकाउंट होने पर बच्चे का एडमिशन नहीं होगा। स्कूल के एडमिशन फॉर्म पर आपके इस विषय की जानकारी देनी होगी। आपको निश्चिततौर पर कहना होगा कि आपके बच्चे का सोशल मीडिया पर कोई अकाउंट नहीं है।
चेन्नई ने हमेशा से ही स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थानों में अपने तुगलकी फरमानों के लिए प्रसिद्धि पाई है परंतु इसे पागलपन का नया नमूना कहा जा रहा है। सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के मुताबिक, यह जरूरत से ज्यादा कठिन शर्त रख दी गई है। इसके अलावा यह स्कूल से बाहर बच्चे की पर्सनल लाइफ में भी दखल देना है।
इस फरमान का एक और बुरा असर बच्चों को डिजिटल जगत में आ रहे बदलावों से भी वंचित रखना होगा। जहां बाकि बच्चे और नई जनरेशन के लोग आगे बढ़ चुके होंगे, ऐसे स्कूलों में जाने वाले बच्चों की डिजिटल समझ अविकसित रह जाएगी।