अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक प्लाज्मोडियम फाल्सीपैरम परजीवी से होने वाला मलेरिया गंभीर और जानलेवा होता है, जो मनुष्य को एनॉफिलीज मच्छरों के काटने से होता है। उनके मुताबिक इस रोग से ग्रसित करीब 20 प्रतिशत लोगों की इलाज के बावजूद मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क पर मलेरिया के पड़ने वाले प्रभाव की गुत्थी पिछले 100 साल से वैज्ञानिकों को उलझाए हुई थी।
उन्होंने कहा कि जीवित व्यक्ति के मस्तिष्क का अध्ययन करने के लिए न्यूरोइमेजिंग तकनीक का उपयोग कर हम वयस्कों में इस रोग से होने वाली मौत के खास कारणों का पता लगा सके हैं। 'सेंटर फॉर स्टडी ऑफ कॉम्प्लेक्स' मलेरिया के वैज्ञानिक एवं अध्ययन के सह प्रमुख लेखक संजीव मोहंती ने कहा कि अनुसंधान के नतीजों के बाद अब क्लिनिकल परीक्षण करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि यह सफल रहा तो यह विश्व के सबसे घातक रोगों में शामिल इस रोग से होने वाली लोगों की मौत की संख्या में कमी लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। (भाषा)