संत की उपाधि देने की घोषणा से पहले 1999 में सिस्टर मरियम को सम्माननीय एवं पूज्यनीय घोषित किया गया था और वर्ष 2000 में उन्हें 'धन्य आत्मा' भी कहा गया था। ये दोनों ही घोषणाएं पोप जॉन पॉल द्वितीय ने की थीं। सिस्टर मरियम को निधन के 93 सालों बाद उन्हें संत घोषित किया जाएगा और यही एक बात है, जो उन्हें मदर टेरेसा से अलग करती है। मदर टेरेसा के साथ उनमें कई समानताएं भी रहीं।
मन की बात में मरियम : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दूसरे कार्यकाल में चौथी बार रेडियो पर देशवासियों से 'मन की बात' कार्यक्रम में सिस्टर मरियम का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ऐसे असाधारण लोगों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रहा है, जो अपने लिए नहीं बल्कि औरों के लिए जीता है। सिस्टर मरियम को उनके देहांत के करीब 93 सालों बाद इस सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
मोदी ने कहा कि देश को उन पर गर्व है। उन्होंने कहा कि सिस्टर थ्रेसिया ने 50 साल के अपने छोटे से जीवनकाल में मानवता की भलाई के लिए जो काम किए, वे पूरी दुनिया के लिए मिसाल हैं। उन्होंने कहा कि 13 अक्टूबर को पोप फ्रांसिस मरियम थ्रेसिया को संत घोषित करेंगे, जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
केरल में सामाजिक उत्थान के कामों के लिए विख्यात रहीं सिस्टर मरियम को मदर टेरेसा की तरह माना जाता है। सिस्टर मरियम ने 'होली फैमिली' नाम की एक धर्मसभा की स्थापना की थी। वेटिकन सिटी में मौजूद एक दस्तावेज के मुताबिक उन्होंने कई स्कूल, हॉस्टल, अनाथालय और कॉन्वेंट बनवाए और संचालित किए।